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दुबई : राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ पिछले मुकाबले में मिली हार के बाद चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ शुक्रवार को होने वाले आईपीएल मैच में आलोचनाओं को शांत करने के इरादे से उतरेंगे। चेन्नई को पिछले मुकाबले में राजस्थान के खिलाफ 16 रन से हार का सामना करना पड़ा था जबकि दिल्ली की टीम ने किंग्स इलेवन पंजाब को अपने पहले मुकाबले में सुपर ओवर में पराजित किया था। चेन्नई का यह तीसरा और दिल्ली का दूसरा मैच होगा।

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चेन्नई को राजस्थान ने 217 रन का मजबूत लक्ष्य दिया था जिसके जवाब में धोनी की टीम 20 ओवर में छह विकेट खोकर 200 रन ही बना सकी थी। चेन्नई की दो मुकाबलों में यह पहली हार थी और अंक तालिका में वह फिलहाल दो मैच में एक जीत तथा एक हार के साथ दो अंक लेकर पांचवें स्थान पर है जबकि दिल्ली की टीम दो अंकों के साथ चौथे नंबर पर है।

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धोनी इस मुकाबले में सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे थे और तब तक काफी देर हो चुकी थी तथा मैच चेन्नई के हाथ से निकल चुका था। धोनी के मैच के अहम मोड़ पर निचले क्रम पर उतरने के फैसले की काफी आलोचना हुई थी और उनके इस निर्णय पर सवाल उठे थे। 

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चेन्नई को जब धोनी जैसे अनुभवी खिलाड़ी की जरुरत थी तब माही ने खुद मोर्चा संभालने की बजाए सैम करेन, रुतुराज गायकवाड़ और केदार जाधव को अपने आगे भेजा था जो रन गति तेज करने में नाकाम रहे थे। धोनी जब मैदान पर उतरे तो शुरुआत में एक भी बड़ा शॉट नहीं खेल पाए। उन्होंने आखिरी ओवर में तीन छक्के जरूर मारे लेकिन तब तक बाजी चेन्नई के हाथों से निकल चुकी थी। धोनी के इन फैसलों का खामियाजा चेन्नई को मैच गंवाकर भुगतना पड़ा।

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धोनी जैसे अनुभवी कप्तान और खिलाड़ी से इस फैसले की उम्मीद कतई नहीं की जा सकती थी। हालांकि उन्होंने अपने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि वह सैम करेन और रुतुराज गायकवाड जैसे खिलाडिय़ों को मौका देना चाहते थे। लेकिन वह इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि उस स्थिति में फाफ डू प्लेसिस के साथ दूसरे छोर से ऐसे खिलाड़ी की आवश्यकता थी जो मैच का संतुलन बरकरार रखने की काबिलियत रखता है। माही को अब दिल्ली के खिलाफ अपने आलोचकों को जवाब देना होगा।

चेन्नई के पास शेन वाटसन, करेन, डू प्लेसिस, धोनी और ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा जैसे दिग्गज खिलाड़ी हैं जो किसी भी स्थिति में मैच का पासा पलटने का माद्दा रखते हैं। ऐसे में दिल्ली को जीत की लय बरकार रखनी है तो उसे चेन्नई के विस्फोटक बल्लेबाजी क्रम को सस्ते में निपटाना होगा जबकि चेन्नई को अपनी गेंदबाजी आक्रमण में सुधार लाना होगा जिसे संजू सैमसन और स्टीवन स्मिथ ने पिछले मैच में पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था।

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दिल्ली की शुरुआत किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ अच्छी नहीं रही थी और उसके तीन विकेट 13 रन पर गिर गए थे और उसकी पारी पूरी तरह लडख़ड़ा गयी थी। दिल्ली की निगाहें एक बार फिर माकर्स स्टोयनिस पर होंगी जिन्होंने अंत के ओवरों में 21 गेंदों में सात चौकों और तीन छक्के की मदद से 53 रन बनाए थे और अपनी टीम को 157 रन के संतोषजनक स्थिति पर पहुंचाया था।

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पंजाब के खिलाफ स्टोयनिस, विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत और कप्तान श्रेयस अय्यर को छोड़कर दिल्ली के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज फ्लॉप साबित हुए थे जबकि निचले क्रम के बल्लेबाज भी प्रदर्शन करने में नाकाम रहे थे। दिल्ली के लिए राहत की बात यह है कि उसके गेंदबाजों ने पंजाब के खिलाफ कम स्कोर का बचाव करते हुए टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई थी और बीच के ओवरों में महंगे साबित होने के बावजूद पंजाब को 157 रन के स्कोर पर रोककर मैच सुपर ओवर में पहुंचाया जहां कैगिसो रबादा ने अपनी शानदार गेंदबाजी से पंजाब को दो रन से ज्यादा नहीं बनाने दिए।