स्पोर्ट्स डेस्क: भारतीय क्रिकेट में जब भी कोई युवा बल्लेबाज अपने आक्रामक खेल से सुर्खियां बटोरता है, तो उससे बड़ी उम्मीदें जुड़ जाती हैं। आज वैभव सूर्यवंशी उसी दौर से गुजर रहे हैं। बेखौफ बल्लेबाज़ी, तेज स्ट्रोक्स और मैच का रुख पलटने की क्षमता ने उन्हें उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया है। लेकिन यही खूबियां कभी एक और युवा बल्लेबाज़—पृथ्वी शॉ में भी नजर आती थीं। फर्क सिर्फ इतना है कि वैभव का सफर शुरू हो रहा है, जबकि पृथ्वी शॉ की कहानी एक चेतावनी बन चुकी है।
वैभव सूर्यवंशी: आक्रामकता की नई पहचान
वैभव सूर्यवंशी अपनी अटैकिंग बल्लेबाज़ी के लिए पहचाने जाने लगे हैं। आईपीएल से लेकर अंडर-19 एशिया कप तक, उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान खींचा है। यूएई के खिलाफ 95 गेंदों में 171 रनों की धमाकेदार पारी ने उन्हें अलग पहचान दी। नई गेंद हो या तेज गेंदबाज़, वैभव शुरुआत से ही दबाव बनाना जानते हैं। तेज फुटवर्क, शानदार कवर ड्राइव और दमदार पुल शॉट उनकी बल्लेबाज़ी की खासियत हैं।
पृथ्वी शॉ का सपनों जैसा उदय
पृथ्वी शॉ का करियर किसी सपने से कम नहीं था। अंडर-19 वर्ल्ड कप में कप्तानी, टेस्ट डेब्यू में शतक और घरेलू क्रिकेट में रनों की बरसात—हर जगह उनका बल्ला बोल रहा था। उनकी आक्रामक शैली के चलते क्रिकेट जगत ने उन्हें “नेक्स्ट सुपरस्टार” तक कहना शुरू कर दिया था। लेकिन शुरुआती सफलता के साथ आया दबाव और शोहरत को वह संभाल नहीं पाए।
अनुशासन की कमी बनी सबसे बड़ी वजह
जहां वैभव के सामने लंबा रास्ता है, वहीं पृथ्वी शॉ का करियर गलत फैसलों की भेंट चढ़ गया। खराब रूटीन, फिटनेस पर ध्यान न देना और मैदान के बाहर की जिंदगी को प्राथमिकता देना—इन सबका असर उनके खेल पर पड़ा। चयनकर्ताओं का भरोसा डगमगाया और धीरे-धीरे टीम इंडिया के दरवाज़े उनके लिए बंद होते चले गए। टैलेंट भरपूर था, लेकिन कमिटमेंट की कमी ने सब कुछ खत्म कर दिया।
वैभव के लिए सबक
वैभव सूर्यवंशी आज उसी मोड़ पर खड़े हैं, जहां कभी पृथ्वी शॉ थे। फर्क बस इतना है कि इतिहास अब सामने है। पृथ्वी शॉ की कहानी वैभव के लिए चेतावनी है कि सिर्फ प्रतिभा से करियर नहीं बनता। अनुशासन, फिटनेस, सही संगत और फोकस ही किसी खिलाड़ी को लंबी रेस का घोड़ा बनाते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय क्रिकेट ने कई ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी देखे हैं, जो उम्मीदों का बोझ नहीं संभाल पाए। पृथ्वी शॉ का टैलेंट वैभव सूर्यवंशी से कम नहीं था, लेकिन एक छोटी सी चूक ने उनके करियर की दिशा बदल दी। अब यह वैभव पर निर्भर करता है कि वह इतिहास से सबक लेकर खुद को भारतीय क्रिकेट का सच्चा भविष्य बनाते हैं या नहीं।