इटावा : वर्ष 1983 में विश्वकप देश की झोली में डाल कर भारतीय क्रिकेट को आसमान की बुलंदी में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव (Kapil Dev) ने कहा है कि सरकार अगर चाहे तो वे देश में युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हैं। एक फाइनेंस कंपनी के प्रमोशन के लिए इटावा आए कपिल ने कहा कि देश में अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी तभी मिलेंगे जब उनको सही दिशा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार यदि मुझे मौका दे तो मैं अपने अनुभव युवा खिलाड़ी बच्चों के साथ शेयर करने और उन्हें ट्रेनिंग देने को तैयार हूं। उन्होंने नवोदित क्रिकेट खिलाड़यिों को बेहतरी के तमाम टिप्स दिए और पत्रकारों से बातचीत में अपनी जीवन यात्रा का संक्षिप्त परिचय देते हुए खूब गुदगुदाया।
उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आपके सामने खड़ा यह कपिल देव एक दिन या एक रात में ही नही बन गया बल्कि जी तोड़ मेहनत और अपने आत्मविश्वास से मिलकर बना है। फिर चाहे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हों या स्टार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हों सभी ने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की है। किसी का भी नाम एक रात में नहीं बना। क्रिकेट के महानायक ने कहा कि आजकल के युवा बस जल्दी से जल्दी करोड़पति या अरबपति बनने का सपना देखते है। वो उन सभी से कहना चाहता हूं कि सपना देखो लेकिन उसे पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत भी करो। कपिल से युवाओं ने पूछा कि जब आपने विश्व कप जीता तो कितनी खुशी हुई थी तो उन्होंने कहा कि जितनी आपको आपके परीक्षा के रिजल्ट में अच्छे नंबरों से पास होने की होती है उतनी ही खुशी मुझे भी हुई थी।
अपने करियर मे रोल मॉडल से जुड़े सवाल पर कपिल ने कहा कि ये कई थे। जब मैं छोटा था तब मेरा रोल मॉडल मेरा स्कूल का मॉनीटर था क्योंकि वो वह सब कुछ करता था जो मैं नहीं कर पाता था। कपिलदेव ने कहा कि उनकी पत्नी ने उनकी खेल प्रतिभा को आगे बढ़ाने में काफी मदद की है। उन्होंने नए क्रिकेट के दीवाने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि क्रिकेट खेलों लेकिन और गेम्स भी खेलो उनमें भी रुचि रखो क्योंकि जरूरी नहीं कि आप एक ही खेल में अच्छे हों या उसी में आपको सफलता मिल जाए।
उन्होंने कहा कि कहीं भी कोई क्रिकेट अकादमी खोल लेने से कुछ नहीं होता यदि अकादमी में अच्छे प्लेयर या अच्छे क्रिकेट के जानकार नहीं है तो फिर सिर्फ खेलने की ट्रेनिंग देने का कोई मतलब ही नहीं। उन्होंने कहा कि ये मत सोचो की केवल क्रिकेट बड़े शहर वाले ही खेलते है या वही क्रिकेटर बन सकते हैं बल्कि सच तो यह है कि 90 फीसदी क्रिकेट देश के गांवों में और छोटे शहरों में खेला जाता है और अच्छे खिलाड़ी इन छोटी जगहों से भी निकलते है।