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नई दिल्ली : पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने इस धारणा को सिरे से खारिज कर दिया है कि ईडन गार्डन्स में पहले टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के हाथों भारत की करारी हार के लिए बदलाव के दौर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। पुजारा ने तर्क दिया कि टीम को फिर से तैयार किए जाने के दौरान विदेशी सरजमीं पर हार समझी जा सकती है लेकिन घरेलू मैदान पर हारना अस्वीकार्य है, विशेषकर ऐसी टीम के साथ जिसमें प्रथम श्रेणी में खुद को साबित कर चुके खिलाड़ी शामिल हों। 

उन्होंने यशस्वी जायसवाल, लोकेश राहुल, वाशिंगटन सुंदर और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों को लंबी अवधि के प्रारूप में भारत की गहराई और क्षमता का प्रमाण बताया। पुजारा ने ‘जियो हॉटस्टार' से कहा, ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि घरेलू मैदान पर भारत की हार के लिए बदलाव के दौर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। बदलाव के दौर में विदेशी सरजमीं पर असफलताओं का सामना करना समझ में आता है लेकिन मौजूदा भारतीय टीम में पर्याप्त प्रतिभा और मजबूत प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड है- यशस्वी जायसवाल, लोकेश राहुल, वाशिंगटन सुंदर और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया है।' 

उन्होंने कहा, ‘अगर इसके बावजूद टीम घरेलू परिस्थितियों में हार रही है तो यह दर्शाता है कि कुछ और गड़बड़ है। अगर यह मैच अच्छी पिच पर खेला जाता तो भारत की जीत की संभावना कहीं अधिक होती।' विकेटों के पतझड़ के बावजूद भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर को पिच में कोई खामी नहीं दिखी लेकिन पुजारा ने कहा कि ऐसी पिचें भारत के लिए अच्छी नहीं हैं। 

उन्होंने कहा, ‘ऐसे विकेट हमारी जीत के प्रतिशत को कम करती हैं और विरोधी टीम को बराबरी पर ला देती हैं। यहां तक कि भारत ए टीम भी अपनी प्रतिभा की गहराई को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका को उसके घर में चुनौती दे सकती है इसलिए यह क्षमता की कमी नहीं है। भारत में इस हार के लिए बदलाव के दौर को दोष देना उचित नहीं है।'