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ब्रिसबेन : जसप्रीत बुमराह ने ऑस्ट्रेलिया में खराब दौर से जूझ रही भारतीय टीम का बचाव करते हुए अपने पर अतिरिक्त दबाव की बात को खारिज किया और कहा कि टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है और अनुभवी होने के नाते अतिरिक्त जिम्मेदारी उठाना उनका काम है। गाबा पर तीसरे टेस्ट में टॉस जीतकर गेंदबाजी का गलत फैसला लेने के बाद भारत ने बुमराह के छह विकेट के बावजूद मेजबान को पहली पारी में 445 रन बनाने दिए। 

जवाब में वर्षाबाधित तीसरे दिन का खेल समाप्त होने तक भारत ने चार विकेट 51 रन पर गंवा दिए थे। बल्लेबाजों की तकनीक और बुमराह के अलावा गेंदबाजों के स्तर पर इसके बाद सवाल उठने लगे हैं। बुमराह ने तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद भारतीय बल्लेबाजी के बारे में पूछने पर कहा, ‘एक टीम के रूप में हम एक दूसरे पर सवाल नहीं उठाते। हम उस मानसिकता में नहीं पड़ना चाहते जहां एक दूसरे पर ऊंगली उठाई जाए।'

बदलाव के दौर से गुजर रहे 

उन्होंने कहा, ‘हम एक टीम के रूप में बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। नए खिलाड़ी आ रहे हैं और क्रिकेट खेलने के लिए यह सबसे आसान जगह नहीं है। विकेट अलग तरह की है और माहौल अलग है।' अब तक इस श्रृंखला में 18 विकेट ले चुके बुमराह ने कहा, ‘गेंदबाजी ईकाई के तौर पर हम बदलाव के दौर में है लिहाजा दूसरों की मदद करना मेरा काम है। मैने दूसरों से अधिक क्रिकेट खेली है तो मैं उनकी मदद की कोशिश कर रहा हूं।' 

नए खिलाड़ियों को थोड़ा समय देना होगा : बुमराह 

उन्होंने कहा, ‘हम सभी सीखने की कोशिश कर रहे हैं और प्रदर्शन बेहतर होगा। सफर में इन सब चीजों से गुजरना होता है।' बुमराह ने इन खबरों को भी खारिज किया कि पहली पारी में खराब स्कोर से गेंदबाजों और उन पर अधिक दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास 11 खिलाड़ी हैं। मैं इसे ऐसे नहीं देखता कि मुझे ज्यादा काम करना है। हम एक नई टीम है और कई नए खिलाड़ी इसमें है। हमें उन्हें थोड़ा समय देना होगा। वे अनुभव से ही सीखेंगे।' 

'मुझे हमेशा अलग-अलग चुनौतियां अच्छी लगती है'

उन्होंने कहा, ‘कोई भी अनुभव साथ लेकर नहीं आता और ना ही कौशल के साथ पैदा होता है। आप सीखते जाते हैं और नए तरीके तलाशते हैं। आप अपने खेल के बारे में सीखते हैं।' भारतीय उप-कप्तान ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में अलग अलग पिचों पर गेंदबाजी करने में उन्हें काफी मजा आया। उन्होंने कहा, ‘मुझे हमेशा अलग-अलग चुनौतियां अच्छी लगती है। पर्थ में विकेट अलग था और एडीलेड में गुलाबी गेंद के साथ विकेट अलग था। यहां का विकेट अलग है और रन अप लो है। भारत में हमें इसकी आदत नहीं है।' 

अपेक्षाओं का बोझ नहीं लेते बुमराह 

बुमराह ने कहा कि वह सफलता और विफलता को समान रूप से देखते हैं और अपेक्षाओं का बोझ नहीं लेते। उन्होंने कहा, ‘जब मैं युवा था तब प्रशंसकों और लोगों की राय का अतिरिक्त बोझ लेता था लेकिन अब मैं किसी राय को संजीदगी से नहीं लेता। मैं खुद से पूछता हूं कि मुझे क्या करना है और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कोशिश करता हूं। मैं यह नहीं सोचता कि लोग मुझसे ऐसा करने की अपेक्षा कर रहे हैं और मैं उसका बोझ लेने लगूं।'