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स्पोर्ट्स डेस्क: नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में इतिहास रचते हुए भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर अपना पहला महिला वनडे वर्ल्ड कप जीत लिया। जैसे ही हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में टीम इंडिया ने ट्रॉफी उठाई, स्टेडियम में मौजूद हजारों फैंस की आंखों में खुशी के आंसू थे और उन्हीं में सबसे ज्यादा भावुक दिखीं स्मृति मंधाना (Smriti Mandhana), जो इस जीत की सबसे बड़ी स्तंभों में से एक रहीं।

मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्मृति की आवाज़ कांप रही थी। उन्होंने कहा, 'हर वर्ल्ड कप में हम उम्मीदों के साथ उतरे, लेकिन बार-बार टूटी उम्मीदें भी हमें मजबूत बनाती रहीं। इस बार हमने वादा किया था कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हम पीछे नहीं हटेंगे। वो 45 बिन-नींद रातें, वो हर प्रैक्टिस सेशन, वो हर हार की याद, आज सब कुछ इस एक ट्रॉफी के आगे छोटा लग रहा है।'

मंधाना ने बताया कि इंग्लैंड के खिलाफ हार के बाद टीम को बड़ा झटका लगा था, लेकिन वही हार आगे चलकर जीत की सबसे बड़ी वजह बनी।

'हम सब टूट चुके थे, लेकिन उस रात हमने ठान लिया कि अब सिर्फ जीतकर ही वापस लौटेंगे। हमने फिटनेस, फील्डिंग, और टीम बॉन्डिंग पर जितना काम किया, उतना शायद पहले कभी नहीं किया। हर खिलाड़ी का लक्ष्य एक ही था — भारत को वर्ल्ड कप दिलाना।'

इस टूर्नामेंट में मंधाना ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 434 रन बनाए, जिसमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल थे। उनका बल्ला कई बार टीम को संकट से निकालने वाला साबित हुआ।

हरमनप्रीत कौर और मंधाना की जोड़ी ने मिलकर टीम के मनोबल को ऊंचा रखा। मंधाना ने कहा, 'हरमन और मैं कई टूर्नामेंट साथ खेल चुके हैं। इस बार हमने ठान लिया था कि अब किसी और को नहीं, खुद को और अपने देश को ट्रॉफी दिलानी है। जब हम DY पाटिल में खेले, तो लगा जैसे पूरा भारत हमारे साथ मैदान में है।'

स्मृति ने आगे कहा,  'यह सिर्फ 15 खिलाड़ियों की जीत नहीं है, यह हर उस लड़की की जीत है जिसने बैट हाथ में लेकर सपना देखा था कि एक दिन वो भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतेगी।'