खेल डैस्क : शतरंज ओलंपियाड के बाद भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि सामने आई है। कैदियों के लिए चौथी इंटरकांटिनेंटल ऑनलाइन शतरंज चैंपियनशिप में भोपाल और एलुरु के किशोर गृह में रखे गए खिलाड़ियों ने एक स्वर्ण और एक कांस्य जीता है। फिंडे द्वारा ऑनलाइन करवाए जाते कार्यक्रम में 2 युवा टीमों के अलावा, दो और भारतीय टीमें पदक की दौड़ में थीं। यरवदा जेल की एक टीम पुरुष वर्ग में कांस्य पदक की लड़ाई में हार गई जबकि तिहाड़ जेल की एक महिला टीम रोमानिया की एक टीम से हार गई। इस वर्ष इस आयोजन में 115 देशों से टीमें थीं। इसमें भारत से 9 टीमों ने हिस्सा लिया था।
ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंटे, जो भारत में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित "परिवर्तन: प्रिजन टू प्राइड" नामक कार्यक्रम का नेतृत्व करते हैं, ने जेल में कैदियों की स्थिति और शतरंज की शुरूआत पर अहम बातें कहीं। कुंटे ने कहा कि कुछ कैदी बहुत बुरी स्थिति में थे। वे आपस में लड़ते रहते थे। लेकिन जब उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया तो यह काफी कम हो गया। क्योंकि उन्होंने सोचा कि शतरंज के बारे में सोचना बेहतर है और आगे क्या करना है... एक कैदी ने मुझे बताया कि वे बहुत खुश हैं क्योंकि जेल के बाहर के लोग उनके बारे में सोच रहे हैं। मुझे लगता है कि यह ऐसे किरदार है जिन्हें लगता है कि उनकी हर समय अपेक्षा की गई। लेकिन अब शतरंज उन्हें पहचान दे रही है। उन्हें वहां रहने का अब मकसद मिल गया है।
कुंटे, जो ओलंपियाड में भारतीय महिला टीम के कोच थे और वर्तमान में लंदन में आयोजित ग्लोबल शतरंज लीग में पी.बी.जी. अलास्का नाइट्स की कप्तानी कर रहे हैं, का अनुमान है कि उन्होंने पिछली बार जिन 9-10 जेलों का दौरा किया था, उनमें उन्होंने लगभग 120 कैदियों को ट्रेनिंग दी है। अंतरराष्ट्रीय मास्टर ईशा करावाडे, सौम्या स्वामीनाथन और ग्रैंडमास्टर ललित बाबू भी इन्हें ट्रेनिंग दे चुके हैं।
कुंटे ने ट्रेनिंग दौर पर बात करते कहा कि जब मैं पहली बार जेलों में गया तो बहुत विरोध हुआ। खिलाड़ियों, अधिकारियों ने विरोध किया। लेकिन जब मैं दूसरी बार गया तो जेलर, कैदी, पुलिस, हर कोई विजेता टीम के साथ तस्वीरें ले रहा था। यह पहली बार था जब मैंने देखा कि जेल अधिकारी और खिलाड़ी देश के लिए कुछ हासिल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। वह एहसास ही मेरे लिए कुछ अलग था।
बहरहाल, भारत में लगभग 30 जेलें ऐसी हैं जहां यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के लिए योग्य उन 9 टीमों में से 4 पुरुष वर्ग में, 3 युवा वर्ग में और 2 महिला वर्ग में थीं। भारत की टीमों ने कैदियों के लिए इंटरकांटिनेंटल ऑनलाइन शतरंज चैंपियनशिप के पिछले दो संस्करणों में भी पदक जीते थे। अक्टूबर 2023 में, यरवदा सेंट्रल जेल टीम ने स्वर्ण पदक जीता था जबकि एक साल पहले उन्होंने कांस्य पदक जीता था।