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सेंचुरियन : भारतीय गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने कुछ हफ्ते पहले साफ कहा था कि कोई भी कोच मोहम्मद शमी जैसी काबिलियत रखने वाला तेज गेंदबाज तैयार करने का श्रेय नहीं ले सकता। म्हाम्ब्रे ने यह बात एक इंटरव्यू में कही थी। 

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट के दूसरे और तीसरे दिन जब डीन एल्गर, डेविड बेडिंघम और मार्को यानसेन भारतीय गेंदबाज शार्दुल ठाकुर और पदार्पण करने वाले प्रसिद्ध कृष्णा की गेंदों को धुन रहे थे तो शमी की इतनी ज्यादा कमी महसूस हुई थी। इससे कुछ निश्चिंतता के साथ कहा जा सकता है कि कुछ समय के लिए प्रसिद्ध का यह पहला और अंतिम टेस्ट रहेगा जिससे अगले टेस्ट में रविंद्र जडेजा और आवेश खान को उनकी और शार्दुल की जगह अंतिम एकादश में रखा जाएगा। 

इससे भारतीय खेल प्रेमियों को भी पता चल गया कि लाल गेंद के गेंदबाजों की दूसरी खेप अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं है जिससे जसप्रीत बुमराह, शमी, मोहम्मद सिराज, इशांत शर्मा और उमेश यादव के दबदबे वाले दिन खत्म हो सकते हैं। इशांत और उमेश का टेस्ट करियर अनधिकृत रूप से खत्म हो गया है और शमी भी अपने करियर के समापन की ओर हैं। यह सच है कि शमी के बिना बुमराह अधूरे हैं और बुमराह के बिना शमी भी अधूरे हैं। सिराज इस त्रिकोण का तीसरा कोण हैं। 

शमी की चोट से वाकिफ बंगाल टीम में उनके पूर्व साथी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘शमी को बाईं एड़ी की पुरानी समस्या है। काफी लोग नहीं जानते कि विश्व कप के दौरान उन्होंने नियमित रूप से इंजेक्शन लिए थे और वह दर्द के साथ ही पूरे टूर्नामेंट में खेला था।' उन्होंने कहा, ‘लेकिन आपको समझना चाहिए कि जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, हर हल्की या बड़ी चोट से उबरने में ज्यादा समय लगता है।' 

प्रसिद्ध के लचर प्रदर्शन से भारतीय खेमे में खतरे की घंटी बजा दी है। रोहित शर्मा ने बेंगलुरू के इस गेंदबाज का समर्थन किया जैसा कोई भी कप्तान सार्वजनिक रूप से करेगा। लेकिन भारत ए के लिए पांच विकेट झटकने के बाद आवेश खान को जिस तरह से टीम प्रबंधन ने बुलाया, उससे साफ संकेत मिलता है कि घबराहट बनी हुई है। एक पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज ने कहा, ‘बेचारा प्रसिद्ध, वह टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार ही नहीं है। उसमें दूसरे और तीसरे स्पैल में गेंदबाजी करने का कौशल ही नहीं है। वे उसे ले गए लेकिन भूल गए कि उसने रणजी ट्रॉफी का पूरा सत्र अंतिम दफा कब खेला था? महज एक भारत ए मैच काफी नहीं होता।' 

उन्होंने यह भी कहा कि आवेश खान को शामिल करने से भी ज्यादा अंतर पैदा नहीं होगा जब तक कि उसे लंबे समय तक नहीं खिलाया जाता। इस गेंदबाज ने कहा, ‘भारत की तेज गेंदबाजों की अगली पीढ़ी के साथ समस्या यही है कि उनमें बुमराह, शमी, इशांत और सिराज जैसा उत्साह और आत्मविश्वास नहीं है।' उन्होंने कहा, ‘आवेश भी प्रसिद्ध जैसा ही गेंदबाज है लेकिन वह नियमित रूप से लाल गेंद का क्रिकेट खेलता है। इसलिए वह बेहतर लेंथ पर गेंदबाजी कर सकता है। नवदीप सैनी छह साल से अब भी भारत ए के लिए खेल रहे हैं। इससे ही कहानी बयां हो जाती है।