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स्पोर्ट्स डेस्क : दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत की 30 रन की करारी हार पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी के पतन की असली वजह बताई है। उनका मानना है कि यह हार किसी एक खिलाड़ी की गलती नहीं, बल्कि आधुनिक क्रिकेट की बदलती प्राथमिकताओं का परिणाम है।

कोलकाता के ईडन गार्डन्स में 124 रन के छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 93 पर ढेर हो गई। इस हार के बाद पीटरसन ने X (ट्विटर) पर लंबा पोस्ट लिखते हुए बताया कि किस तरह आज के बल्लेबाज़ टेस्ट मैच के लिए जरूरी तकनीक धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं।

केविन पीटरसन ने बताया भारत की हार का असली कारण

पीटरसन ने लिखा कि कोलकाता की स्पिनिंग पिच, कम स्कोर और तड़क-भड़क भरे मैच ने साफ कर दिया है कि आज के बल्लेबाज़ कठिन परिस्थितियों में टिककर खेलने की कला नहीं सीख पा रहे।

उन्होंने कहा, 'आज के बल्लेबाज़ बड़े शॉट्स खेलने, स्विच-हिट और छक्के मारने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। बचाव की तकनीक, टिककर बल्लेबाज़ी और पारी बनाने जैसी टेस्ट क्रिकेट की असली स्किल्स पर अब उतना जोर नहीं दिया जाता।'

उनका दावा है कि जब वातावरण ही आक्रामक खेल को बढ़ावा दे, तो खिलाड़ी उसी दिशा में ढलने लगते हैं और टेस्ट में ऐसी परिस्थिति आने पर वे ढह जाते हैं।

'खिलाड़ी दोषी नहीं, सिस्टम दोषी है' – पीटरसन का बड़ा बयान

पीटरसन ने साफ कहा कि खिलाड़ी दोषी नहीं हैं, क्योंकि वह उसी सिस्टम का हिस्सा हैं जो उन्हें आक्रामक खेल के लिए तैयार करता है।

उन्होंने लिखा: 'The player is not to blame at all… आज क्रिकेट की प्राथमिकता बचकर खेलने या स्पिन को समझने की नहीं है।' इसके बाद उन्होंने क्रिकेट में बढ़ते पैसे और मनोरंजन-प्रधान मॉडल को कठघरे में खड़ा किया। 'अब क्रिकेट चमक-दमक, तेज़ संगीत, और बोर्ड्स व प्राइवेट मालिकों के लिए अधिक कमाई का साधन बन गया है।'

“पैसा ही असली हाथी है कमरे में…” — पीटरसन

पीटरसन ने कहा कि क्रिकेट में पैसा सबसे बड़ा प्रभाव डाल रहा है, लेकिन कोई इस पर खुलकर बात नहीं करना चाहता। उन्होंने आगे लिखा, 'मैं चाहता हूँ कि खिलाड़ी जितना पैसा कमा सकते हैं, कमाएँ। वे वही कर रहे हैं जो निर्णय लेने वाले चाहते हैं, छक्के मारो, स्विच-हिट खेलो और बैंक बैलेंस बढ़ाते रहो।'

पीटरसन के अनुसार खिलाड़ियों को दोष देने से पहले, यह समझना जरूरी है कि उनका प्रशिक्षण और माहौल आज टेस्ट क्रिकेट की मूल तकनीक से बहुत दूर हो चुका है।