नई दिल्ली : भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के नाम टेस्ट क्रिकेट में 536 विकेट है लेकिन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम में वाशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा की मौजूदगी के कारण अंतिम एकादश में उनके लिए जगह बना पाना काफी मुश्किल दिख रहा है। श्रृंखला का पहला मैच पर्थ में खेला गया था। तेज गेंदबाजों की मददगार पिच को देखते हुए टीम ने अश्विन और अनुभवी जडेजा की जगह वाशिंगटन को बेहतर बल्लेबाजी के कारण अंतिम एकादश में शामिल किया था।
5 मैचों की इस श्रृंखला के आगामी मैचों में भी अगर पिच से तेज गेंदबाजों के लिए अधिक मदद हुई तो 38 साल के अश्विन के लिए टीम में जगह बनाना काफी मुश्किल होगा। यह तभी संभव है जब टीम को 2 स्पिनरों की जरूरत हुई या वाशिंगटन की गेंदबाजी काफी खराब रही। पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने अश्विन और जडेजा की जगह वाशिंगटन सुंदर को चुनने को बड़ा कदम बताया।
इस पूर्व दिग्गज ने कहा कि न्यूजीलैंड सीरीज के दौरान वाशिंगटन ने दिखा दिया था कि वह आने वाले दिनों में अश्विन से जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार है। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका (सेना) में प्रदर्शन को पैमाना बनाए तो एकादश में अश्विन से मजबूत दावेदारी जडेजा की दिखती है। जडेजा ने इन देशों में बेहतर बल्लेबाजी की है।
वाशिंगटन और अश्विन की उम्र में काफी अंतर है लेकिन हरभजन ने कहा कि इस चयन में उम्र की भूमिका अधिक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि 38 साल कोई बड़ी उम्र है। वह 58 साल के नहीं हैं। लेकिन हां, इतने सालों के बाद कंधों में थकान और घिसावट आ जाती है। ऐसे में गेंद की गति प्रभावित होती है। वैसे भी पिछले कई वर्षों से विदेशों में जडेजा को बेहतर बल्लेबाजी कौशल के कारण अश्विन पर तरजीह मिलती रही है। इन देशों में उनके नाम एक शतक और पांच अर्धशतक हैं। उन्होंने लगभग 30 के औसत से रन बनाए हैं। जबकि अश्विन के नाम 2 अर्धशतक है।