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गोवा ( निकलेश जैन ) भारत की वर्तमान राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियन महिला ग्रांड मास्टर और इंटरनेशनल मास्टर भक्ति कुलकर्णी गोवा की रहने वाली है , 2.5 बर्ष की उम्र मे ही उनके पिता प्रदीप कुलकर्णी नें शतरंज सिखाया , 4 वर्ष की उम्र मे ही उनके गोवा के लोकल टूर्नामेंट मे अपना पहला पुरूष्कार मिला । 7 वर्ष की उम्र मे राष्ट्रीय आयु वर्ग शतरंज मे उन्होने अपना पहला कांस्य पदक हासिल किया । इसके बाद माता पिता , स्कूल , दोस्तो के सहयोग से भक्ति मेहनत कर आगे बढ़ती गयी । मात्र 11 वर्ष मे ही उन्होने गोवा राज्य की पुरुष वर्ग की सीनियर चैंपियनशिप जीत कर सभी को चौका दिया था । 2011 मे उन्होने एशियन जूनियर तो 2016 मे एशियन सीनियर के खिताब जीतकर देश को गौरान्वित किया । पिछले वर्ष भारत की ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड और एशियन के स्वर्ण पदक विजेता टीम मे भी उन्होने शानदार खेल दिखाया । भक्ति का लक्ष्य विश्व महिला शतरंज चैम्पियन बनना है और वह इसके लिए जीतोड़ मेहनत भी कर रही है कोविड के चलते अब विश्व चैंपियनशिप जब भी होगी और भक्ति की नजरे अपने लक्ष्य पर है ।

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कोविड के माहौल का सामना कैसे किया ?

लगातार टूर्नामेंट रद्द होने से पहले दो दिन माह तो बहुत निराशा लेकर आए पर उसके बाद चेसबेस और अन्य संस्थाओं नें ऑनलाइन टूर्नामेंट शुरू कर दिये और इसके बाद जैसे एक दिशा मिली , इसके अलावा मैंने अपनी ट्रेनिंग और अपनी फ़िटनेस पर भी काम किया तो कुछ नयी कलाए भी सीखी ,कोविड के बाद शतरंज का खेल बहुत लोकप्रिय हो चुका है भारत विजेता बनकर उभरा है और यूट्यूब से लेकर फिल्मों मे शतरंज का खूब महत्व मिला है ।

भारतीय महिला शतरंज का विश्व मे आप क्या स्थान देखती है ?

भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी बहुत मेहनती है कोनेरु हम्पी और हारिका द्रोणावल्ली को तो हम सभी जानते है पर आने वाली पीढ़ी दिव्या देशमुख ,वन्तिका अग्रवाल ,वैशाली आर खेल को और बेहतर तरीके से समझ रहे तो आने वाले 5 वर्ष भारत दुनिया मे हम बहुत आगे जाएँगे ।

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महिला शतरंज के स्तर मे आप क्या बदलाव महसूस करती है ?

भारत मे हम महिला शतरंज के और टूर्नामेंट बढ़ा सकते है ,प्रयोजक नहीं होने से देश से बाहर खेलने मे मुश्किल होती है अगर देश मे अच्छी पुरूष्कार राशि के बड़े महिला टूर्नामेंट देश मे होने से महिला शतरंज और बेहतर हो जाएगा ।

शतरंज हर बच्चे को सिखाना चाहिए ऐसा क्यूँ अच्छा माना जाता है ?

शतरंज भारत का जन्मा खेल है और इसे हर बच्चो को जोडेने से उनका ध्यान ,एकाग्रता ,निर्णय लेने की क्षमता और याद्दाशत का बेहतर होने जैसे कई ऐसे गुण है जो बच्चो के विकास के लिए तो जरूरी है साथ ही आपको जीना सिखाते है तो हर बच्चे को शतरंज सिखाना एक सदी की आवश्यकता है ।