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स्पोर्ट्स डेस्क : अभिमन्यु ईश्वरन के पिता रंगनाथन ईश्वरन ने हाल ही में खुलासा किया कि भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने उनके बेटे को जल्द ही प्लेइंग 11 में मौका देने का आश्वासन दिया है। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ संपन्न 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में ईश्वरन एक बार फिर टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे क्योंकि करुण नायर और साई सुदर्शन को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका दिया गया। हालांकि दोनों ने कुल मिलाकर दस पारियों में केवल एक-एक अर्धशतक ही लगाया। 

अभिमन्यु ईश्वरन के पिता रंगनाथन ने टीम प्रबंधन के साथ अपने बेटे की बातचीत का खुलासा किया और बताया कि गंभीर ने उन्हें टीम में लंबे समय तक खेलने का आश्वासन दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, 'गौतम गंभीर ने जब मेरे बेटे से बात की, तो उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि तुम सही काम कर रहे हो, तुम्हें अपनी बारी जरूर मिलेगी, तुम्हें लंबे मौके मिलेंगे। मैं वो नहीं हूं जो तुम्हें एक-दो मैच के बाद बाहर कर दूं। मैं तुम्हें लंबा मौका दूंगा। मेरे बेटे ने मुझे यही बताया। पूरी कोचिंग टीम ने उसे भरोसा दिलाया कि उसे उसका हक मिलेगा, उसे लंबे मौके मिलेंगे। मैं बस इतना ही कह सकता हूं। मेरा बेटा 4 साल से इंतजार कर रहा है, उसने 23 साल कड़ी मेहनत की है।' 

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अभिमन्यु को साई सुदर्शन की जगह मौका मिलना चाहिए था क्योंकि उन्हें हरी पिचों पर खेलने का अच्छा अनुभव है। उन्होंने आगे कहा, 'उन्हें वन डाउन पर खेलना चाहिए था। साई सुदर्शन के लिए कोई बुरी भावना नहीं है। कृपया समझें कि मैं उन्हें जानता हूं, सभी उन्हें जानते हैं। लेकिन सवाल यह है कि कौन सी जगह, यानी वन डाउन। वह कहां फिट बैठते हैं? आप मुझे बताइए 0, 31, 0, 61। वे अभिमन्यु को आजमा सकते थे, जिन्होंने ईडन गार्डन पर लगभग 30% मैच खेले हैं, जहां हरी पिच होती है। उन्हें हरी पिच पर खेलने का अनुभव है। रिकॉर्ड बताते हैं कि अभिमन्यु लंबे समय तक पारी को संभाले रखने वाले खिलाड़ी हैं।' 

रंगनाथन ने यह भी कहा कि प्रबंधन ने अभिमन्यु के साथ अन्याय किया है क्योंकि करुण नायर, जो कभी तीसरे नंबर पर नहीं खेले, को उस स्थान पर मौका दिया गया, जबकि उनके बेटे को यही लचीलापन नहीं दिया गया। रंगनाथन ईश्वरन ने कहा, 'करूण नायर कभी भी पहले नंबर पर नहीं खेले। वह विदर्भ के लिए हमेशा दूसरे या तीसरे नंबर पर ही खेले हैं। वह पहले नंबर पर कैसे आ सकते हैं? अचानक आपको ऐसे खिलाड़ी मिल जाएंगे जो चौथे और पांचवें नंबर पर खेलते हैं, वे शीर्ष क्रम के बल्लेबाज बन जाते हैं। लेकिन मेरा बेटा शीर्ष क्रम का बल्लेबाज है। वह तीसरे या चौथे नंबर पर भी नहीं जा सकता। वह सिर्फ सलामी बल्लेबाजी ही कर सकता है।'