सिडनी : भारत के सीनियर बल्लेबाज रोहित शर्मा ने अपने संन्यास को लेकर लग रही अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं और आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट से ‘बाहर रहने' का कारण खराब फॉर्म था । खराब फॉर्म से जूझ रहे रोहित ने सिडनी टेस्ट से आराम लिया है और उनकी जगह तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह कप्तानी कर रहे हैं । इससे टेस्ट क्रिकेट में रोहित के भविष्य को लेकर अटकलें लगने लगी हैं।
रोहित ने कहा कि मैंने संन्यास नहीं लिया है। मैं बाहर हुआ हूं। मैंने कोच और चयनकर्ताओं से यही बात की कि मैं रन नहीं बना पा रहा हूं, फॉर्म में नहीं हूं और इस महत्वपूर्ण मैच में हमें ऐसा खिलाड़ी चाहिए जो फॉर्म में है। उन्होंने कहा कि हम बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में टीम में ऐसे खिलाड़ी ज्यादा नहीं होने चाहिए जो फॉर्म में नहीं हैं। यही बात मेरे दिमाग में चल रही थी। मैं कहीं जा नहीं रहा हूं। सैतीस वर्ष के रोहित ने कहा कि टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं ने उनके फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मैं कोच और चयनकर्ताओं से कहना चाहता था कि मेरे दिमाग में यह चल रहा है। उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि तुम इतने साल से खेल रहे हो और तुम्हें पता है कि तुम क्या कर रहे हो।
रोहित ने कहा कि मेरे लिए यह कठिन फैसला था। लेकिन अगर सब कुछ सामने रखें तो यह फैसला तर्कसंगत था। मैं बहुत आगे की नहीं सोचूंगा। रोहित की गैर मौजूदगी में शुभमन गिल को भारतीय टीम में शामिल किया गया। भारत श्रृंखला में 1-2 से पीछे है और बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी अपने पास रखने के लिए उसे सिडनी टेस्ट हर हालत में जीतना होगा। रोहित ने 2024 में टेस्ट क्रिकेट में 14 मैचों की 26 पारियों में सिर्फ 619 रन बनाए। सिडनी टेस्ट से पहले इस श्रृंखला के तीन टेस्ट की 5 पारियों में वह 31 रन ही बना सके हैं।
रोहित के साहसिक फैसले से यह अटकलें लगाई जा रही है कि वह इस श्रृंखला के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि यह संन्यास का फैसला नहीं है। मैं खेल छोड़ने नहीं जा रहा। ऐसा कोई फैसला नहीं है। मैं सिर्फ इसलिए इस मैच से बाहर हूं क्योंकि मेरा बल्ला काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि पांच महीने बाद भी बल्ला नहीं चलेगा। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि बल्ला दो महीने या छह महीने बाद भी नहीं चलेगा। रोहित ने कहा कि हमने टेस्ट क्रिकेट में बहुत कुछ देखा है। हर मिनट, हर सेकंड, हर रोज जिंदगी बदलती है। मेरा मानना है कि हालात बदलेंगे। लेकिन हमें यथार्थवादी भी होना होगा। अगर किसी व्यक्ति के पास माइक, लैपटॉप या कलम है तो वह क्या लिखता है या क्या बोलता है, इससे हमारी जिंदगी नहीं बदलती। हम इतने साल से खेलते आ रहे हैं।