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स्पोर्ट्स डैस्क : फुटबाॅल जगत ने पेले के रूप में एक महान खिलाड़ी खो दिया। ब्राजील के महान खिलाड़ी पेले ने साओ पाउलो में 82 की उम्र में आखिरी सांस ली। पेले लंबे समय से कैंसर की बीमारी से लड़ रहे थे। पेले भले ही अब हमारे बीच में ना हों, लेकिन उनकी उपलब्धियां हमेशा उनकी याद दिलाती रहेंगी। पेले को फुटबॉल का जादूगर कहा जाता था क्योंकि मैदान पर जिस चालाकी के साथ उन्होंने पैर पर फुटबाॅल को नचाया उससे ना विरोधी टीम बल्कि गोलकीपर भी चकमा खा जाते थे। उनकी ट्रिक का इस्तेमाल आज कई दिग्गज खिलाड़ी करते हैं। पेले के रहते पांच बार विश्व कप जीतने वाली ब्राजील की टीम तीन बार खिताब जीत चुकी थी। उनकी मौजूदगी में 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील चैंपियन बना था। पेले ने बहुत कम उम्र में फुटबाॅल जगत में नाम कमाया। उनसे जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जो शायद ही फैंस को पता होगा। आइए जानें पेले की जिंदगी से जुड़ी खास बातों के बारे में :

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यह था बचपन में मिला नाम

यूं तो इस महान खिलाड़ी को दुनियाभर में पेले नाम से पुकारा जाता है, लेकिन शायद की फैंस जानते हों कि उनका असली नाम एडसन अरांतेस डो नैसमेंटो था। जी हां...यह उनका बचपन से माता-पिता द्वारा मिला नाम था। उनका यह नाम प्रसिद्ध अमेरिकी आविष्कारक थाॅमस एल्बा एडसन के उपनाम से भिन्न नहीं है। ब्राजील में वैसे ही हर इंसान के एक-दो निकनेम होते थे। उनका निक नेम डिको था।

अपने नाम के पीछे की कहानी पेले ने अपने संस्मरण 'व्हाई सॉकर मैटर्स' में बताते हुए उन्होंने लिखा था, ''मेरे जन्म से पहले हमारे शहर में बिजली नहीं थी। जिस दिन मेरा जन्म हुआ था उसी दिन शहर में बिजली का बल्ब पहुंचा था। बल्ब की रोशनी को देखकर मेरे माता-पिता काफी खुश थे। उन्होंने इस बल्ब के अविष्कारक थामस एल्वा एडसन के नाम पर मेरा नाम एडसन रख दिया, लेकिन गलती से वह स्पेलिंग उनके नाम की नहीं रख पाए।''

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डिको से पड़ा गैसोलिना नाम

ब्राजील के छोटे से शहर मिनास गेराइस में 23 अक्तूबर 1940 को पेले का जन्म हुआ था। तब उनके पिता क्लब स्तर पर खेला करते थे। उनके पिता नाम तो नहीं कमा सके, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को दुनिया में चमकाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। पेले के पिता ने मिनास गेराइस से साओ पाउलो के बाउरू शहर में रहना शुरू कर दिया। उन्होंने बचपन से ही पेले को ट्रेनिंग देना शुरू कर दी थी। पेले की फुर्ती देख सब हैरान रह जाते थे, जिस कारण उनकी चर्चा चारों तरफ होने लगी थी। पेले जब अपने दोस्तों के साथ खेलते थे तो वह किसी के हाथ नहीं लगते थे। उनकी रफ्तार तेज थी। ऐसे में उनका नाम दोस्तों ने'गैसोलिना' रख दिया। तब पेले को यह नाम कुछ हद तक पसंद भी आया था। 

फिर ऐसे पड़ा पेले नाम

अब सवाल यह है कि इस महान फुटबाॅलर को 'पेले' नाम किसने दिया। ब्राजील में पुर्तगाली भाषा का चलन था और उसमें पेले शब्द का कोई मतलब नहीं निकलता था,लेकिन फिर भी जब वह 15 साल की उम्र में ब्राजील के मशहूर क्लब सैटोंस से जुड़े तो उनका नाम पेले पड़ चुका था। पेले ने 'व्हाई सॉकर मैटर्स' में खुद अपने नाम के रखे जाने का कारण बताया था। पेले ने खुद बयान देते हुए कहा था, ''कोई ठीक-ठीक नहीं बता पाता है कि पेले नाम कहां से आया, लेकिन मेरे मामा जॉर्ज ने इसके पीछे का जो कारण बताया है उसपर भरोसा किया जा सकता है। 

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हुआ ऐसा था कि बाउरू की स्थानीय फुटबॉल क्लब टीम में पेले के पिता खेला करते थे। इस क्लब टीम के एक गोलकीपर का नाम था बिले था, जो जबरदस्त प्रदर्शन के चलते सुर्खियों में रहता था। दूसरी ओर बचपन में डिको (यानी की पेले) ने कई मैचों में गोलकीपर की भूमिका निभाने का काम किया थ। जब वे शानदार तरीके से गोल रोकते थे तो सभी कहते थे कि ये दूसरा बिले है, या देखो ये खुद को बिले मानने लगा है। देखते-देखते ये बिले कब पेले में बदल गया है। इसका किसी को अंदाजा भी नहीं हुआ। हालांकि ये वो दौर था जब डिको, साथियों से बहस किया करते थे कि किसने मुझे पेले बुलाया, क्यों बुलाया, मेरा नाम तो ठीक से लो।