स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने युवा क्रिकेटरों के लिए नया नियम लागू कर सबको चौंका दिया है। अब कोई भी खिलाड़ी सीधे आईपीएल की चकाचौंध में छलांग नहीं लगा पाएगा। IPL में जगह बनाने से पहले उन्हें घरेलू क्रिकेट की ‘परीक्षा’ पास करनी होगी। यानी रणजी जैसे प्रथम श्रेणी मैच खेलना अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह बदलाव न सिर्फ खिलाड़ियों को मजबूत बनाएगा बल्कि भारतीय क्रिकेट की जड़ों को भी और मज़बूत करेगा।
नियम में बदलाव: घरेलू अनुभव अनिवार्य
बीसीसीआई ने साफ़ कर दिया है कि अंडर-16 और अंडर-19 क्रिकेटर आईपीएल का हिस्सा तभी बन सकेंगे, जब वे कम से कम एक प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके हों। पहले ऐसा कोई नियम नहीं था, और कई खिलाड़ी सीधे नीलामी या ट्रायल से आईपीएल में एंट्री ले लेते थे।
वैभव सूर्यवंशी का उदाहरण
इस बदलाव के महत्व को समझाने के लिए बीसीसीआई ने राजस्थान रॉयल्स के युवा बल्लेबाज़ वैभव सूर्यवंशी का उदाहरण दिया। मात्र 13 साल 243 दिन की उम्र में 1.10 करोड़ रुपये में खरीदे गए वैभव ने डेब्यू से पहले ही बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में पारी खेली थी। यही वजह है कि वह आईपीएल में सबसे कम उम्र में शामिल होने के बावजूद तैयार नज़र आए। अब तक उन्होंने पाँच प्रथम श्रेणी मैचों में 100 रन बनाए हैं।
घरेलू क्रिकेट की अहमियत बढ़ी
बीसीसीआई का मानना है कि आईपीएल की ग्लैमर और प्रतिस्पर्धा का सामना करने से पहले घरेलू स्तर का अनुभव ज़रूरी है। इससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे सीधे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की चुनौतियों के लिए भी बेहतर ढंग से तैयार होंगे।
ज्यादा घरेलू मैच, ज्यादा इनाम
नए नियम के साथ बीसीसीआई ने एक और बड़ा ऐलान किया है—जो खिलाड़ी सीज़न में ज्यादा घरेलू मैच खेलेंगे, उन्हें ज्यादा भुगतान मिलेगा। इसका मकसद है खिलाड़ियों को लगातार खेलते रहने के लिए प्रोत्साहित करना और घरेलू टूर्नामेंटों को गंभीरता से लेने की प्रेरणा देना।
नतीजा : भारतीय क्रिकेट को नई दिशा
यह कदम भारतीय क्रिकेट के भविष्य को सुरक्षित करने वाला माना जा रहा है। अब हर जूनियर खिलाड़ी के लिए आईपीएल तक का रास्ता घरेलू क्रिकेट से होकर गुज़रेगा। इसका सीधा असर रणजी और दूसरे टूर्नामेंटों की प्रतिस्पर्धा पर भी पड़ेगा, जिससे न केवल खिलाड़ियों बल्कि भारतीय क्रिकेट की जड़ों को भी मजबूती मिलेगी।