मेलबर्न: दुनिया की बहुत कम खेल प्रतियोगिताओं में एशेज जैसी विरासत, नाटकीयता और आभा देखने को मिलती है। इसकी शुरुआत 1882 में एक अख़बार में छपे व्यंग्यात्मक शोक संदेश से हुई थी, जिसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता को जन्म दिया।
एशेज की यह 140 साल पुरानी कहानी अब एक नए अध्याय की ओर बढ़ती है, जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड 21 नवंबर से पर्थ में शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में भिड़ेंगे।
एशेज की शुरुआत कैसे हुई?
1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट खेला गया। लेकिन "एशेज" शब्द पहली बार 1882 में उपयोग हुआ, जब इंग्लैंड अपनी ही धरती पर ऑस्ट्रेलिया से हार गया। द स्पोर्टिंग टाइम्स में छपे उस प्रसिद्ध शोक संदेश में लिखा था: 'इंग्लिश क्रिकेट की मौत हो गई है। उसका अंतिम संस्कार होगा और राख (Ashes) ऑस्ट्रेलिया ले जाई जाएगी।'
इसके बाद इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाई ने एशेज वापस लाने की कसम खाई और टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। उनकी जीत के बाद एक प्रशंसक ने उन्हें एक टेराकोटा का छोटा कलश भेंट किया, जो एशेज का प्रतीक बन गया। यही कलश वर्षों तक ब्लाई परिवार के पास रहा और बाद में MCC को सौंप दिया गया।
एशेज 2025–26: सीरीज कार्यक्रम
पहला टेस्ट: 21 नवंबर, पर्थ
दूसरा टेस्ट: 4 दिसंबर से, ब्रिस्बेन (डे-नाइट)
तीसरा टेस्ट: 17–21 दिसंबर, एडिलेड
चौथा टेस्ट: 26 दिसंबर (बॉक्सिंग डे), मेलबर्न
पांचवां टेस्ट: 4 जनवरी, सिडनी
ताज़ा हालात
एशेज 2017 से ऑस्ट्रेलिया के पास है। इंग्लैंड ने 2011 से ऑस्ट्रेलियाई धरती पर कोई टेस्ट नहीं जीता और आखिरी बार सीरीज भी 2011 में ही जीती थी। इस बार इंग्लैंड को खिताब वापस पाने के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना होगा।