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स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की पुरुष टीम में खिलाड़ियों के चयन के लिए ब्रोंको टेस्ट शुरू करने की योजना ने सभी का ध्यान खींचा है। यह एक ऐसा टेस्ट है जो एथलीटों को अपनी हृदय संबंधी क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। ब्रोंको टेस्ट क्रिकेट के लिए भले ही नया हो, लेकिन रग्बी में इसका इस्तेमाल लंबे समय से एक उच्च-तीव्रता वाली दौड़ के अभ्यास के रूप में किया जाता रहा है। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने इसके खिलाफअपने विचार साझा करते हुए कहा कि इस तरह के टेस्ट के आधार पर खिलाड़ियों का चयन करना काफी अनुचित है। 

गावस्कर ने अपने एक कॉलम में लिखा, 'हालांकि यह जानने के लिए कि किसी खिलाड़ी को अपने शरीर को कहां मजबूत करने की जरूरत है, ये टेस्ट करवाना ठीक है, लेकिन राष्ट्रीय टीम में चयन का फैसला इनसे करवाना थोड़ा ज़्यादा है। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए टीम में सभी के लिए एक ही मानक रखना लगभग असंभव है। खिलाड़ी की विशेषता और उसके लिए दी जाने वाली छूट का ध्यान रखना जरूरी है। उदाहरण के लिए एक विकेटकीपर, जो पूरे दिन लगातार घूमता रहता है, उसे दूसरों की तुलना में अलग फिटनेस स्तर की आवश्यकता होती है।' 

गावस्कर ने आगे लिखा कि कोई भी परीक्षा उस खिलाड़ी की मानसिक शक्ति से बड़ी नहीं होती। उन्होंने कहा, 'अपने देश के लिए सर्वोच्च स्तर पर खेलने की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा को मापा नहीं जा सकता, क्योंकि यह दो कानों के बीच की बात है। और मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब दिल खुला हो, तो उसमें केवल दो शब्द होने चाहिए, 'भारतीय क्रिकेट', और कुछ नहीं।'