नई दिल्ली : जैसे-जैसे आईपीएल का जुनून देश को अपनी चपेट में ले रहा है, मैदान के बाहर एक खतरनाक ट्रेंड उभर रहा है। भारत में सट्टेबाजी ने इस साल 8.5 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर को छू लिया है। टूटी जिंदगियां, बिखरे परिवार और आर्थिक बर्बादी जैसे घटनाक्रम स्टेडियम की तालियों और फैंटेसी लीग के शोर के पीछे दब रहे हैं। हाल की खबरें दिल दहलाने वाली हैं। कर्नाटक में एक व्यक्ति ने सट्टेबाजी में 1 करोड़ रुपये गंवाए, जिसके बाद उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। मैसूर में कई परिवार इस जाल में फंसकर तबाह हो चुके हैं। खेल के प्रति जुनून और सट्टेबाजी का नशा अब महज अटकलें नहीं, बल्कि एक बढ़ती महामारी बन चुका है।
इसके खिलाफ जागरूकता की एक नई लहर उठ रही है। एंजल वन की पहल फाइनवन.क्लब पर 24,000 से अधिक लोग क्विट बैटिंग का संकल्प ले चुके हैं, जो खासतौर पर जेन जैड को वित्तीय समझदारी की राह दिखा रहा है। यह अभियान सिर्फ एक कैंपेन नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की लड़ाई में एक समुदाय का निर्माण है। सट्टेबाजी को भले ही आकर्षक दिखाया जाए, लेकिन इसके परिणाम बहुत बुरे होते हैं। इस आईपीएल सीजन इससे दूर रहना ही शायद असली जीत होगी।