नई दिल्ली : चैम्पियन बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह समेत खेल जगत ने महान अभिनेता धमेंद्र की गर्मजोशी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके जैसे इंसान का प्रशंसक नहीं होना संभव ही नहीं है। ‘‘सत्यकाम'', ‘शोले', ‘बंदिनी', ‘अनुपमा', ‘चुपके चुपके' जैसी कालजयी फिल्मों समेत 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करके मनोरंजन जगत में एक अलग मुकाम हासिल करने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार को निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनके निधन पर खेल जगत ने इस तरह श्रृद्धांजलि दी।
सचिन तेंदुलकर :
मैं भी उन कई लोगों में से हूं जो धर्मेंद्र जी को तुरंत चाहने लगे थे। अपने विविधतापूर्ण अभिनय से उन्होंने हमारा मनोरंजन किया । स्क्रीन का रिश्ता उसके बाहर भी और मजबूत हुआ, जब मैं उनसे मिला। उनकी ऊर्जा संक्रामक थी और वह मुझे हमेशा कहते थे कि तुमको देखकर एक किलो खून बढ जाता है मेरा। वह इतने गर्मजोशी से मिलते थे कि हर कोई खास महसूस करता था। उनके जैसे इंसान का प्रशंसक नहीं होना संभव ही नहीं है। उनके जाने से मेरा दिल भारी है। ऐसा लगता है कि जैसे मेरा दस किलो खून कम हो गया है। आपकी कमी खलेगी।
विराट कोहली :
हमने आज भारतीय सिनेमा के ऐसे लीजैंड को खो दिया जिन्होंने अपनी प्रतिभा और कशिश से दिलों पर राज दिया। एक महानायक जिन्होंने उन सभी को प्रेरित किया जिन्होंने उन्हे देखा। ईश्वर उनके परिवार को इस कठिन समय में शक्ति दे । पूरे परिवार के प्रति मेरी संवेदनायें।
युवराज सिंह :
हर घर में धर्मेंद्र की एक पसंदीदा फिल्म होती थी। वह हिन्दी सिनेमा के सुनहरे दौर और हमारे बचपन का हिस्सा थे। हर किरदार में उन्होंने मजबूती, कशिश और ईमानदारी भरी और हर जगह पंजाब की गर्मजोशी को लेकर गए। इस शोहरत के पीछे एक विनम्र, जमीन से जुड़ा, सरल इंसान था। उनकी विरासत लाखों करोड़ों के दिलों में रहेगी।
वीवीएस लक्ष्मण :
धमेंद्र जी के निधन से शोकमग्न हूं। एक कालजयी सितारा जिनकी मौजूदगी ने हमारी स्क्रीन और जिंदगियों को रोशन किया। उनकी विराज हमारे दिलों में रहेगी। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।
हरभजन सिंह :
धर्मेंद्र जी को श्रृद्धांजलि जिनकी गरिमा, दमखम और अतुल्य आकर्षण ने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी। दमदार अभिनय और मैदान से भीतर और बाहर अपनी गर्मजोशी से उन्होंने अनगिनत दिलों को छुआ और पीढ़ियों को प्रेरित किया।
वीरेंद्र सहवाग :
धर्मेंद्र जी सिर्फ अभिनेता नहीं थे, एक युग थे। सादगी में सितारा, ताकत में ही मैन और दिल में सोना। उनकी फिल्में, उनका अंदाज और उनकी गर्मजोशी पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी। एक मजान कलाकार। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
अस्पताल में भर्ती और निधन की दुखद खबर
89 वर्षीय धर्मेंद्र को सांस लेने में कठिनाई के बाद दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया था। स्वास्थ्य में हल्का सुधार देखने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया था, जहां उनका इलाज जारी था। लेकिन सोमवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी और उनका निधन हो गया। इस खबर ने परिवार, फिल्म उद्योग और उनके अनगिनत प्रशंसकों को गहरे शोक में डाल दिया।
पंजाब से बॉलीवुड तक, धर्मेंद्र का शानदार सफर
1935 में पंजाब में जन्मे धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत एक टैलेंट सर्च कॉन्टेस्ट जीतकर की थी। 1958 में फिल्मफेयर और बिमल रॉय प्रोडक्शंस द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता ने उनके लिए फिल्मों के दरवाजे खोले। हैंडसम लुक, सहज अभिनय और प्राकृतिक करिश्मे ने उन्हें जल्द ही फिल्म उद्योग का पसंदीदा चेहरा बना दिया।
छह दशक का सफल करियर और अमर किरदार
धर्मेंद्र की फिल्मों का सफर बेहद समृद्ध और विविध रहा। रोमांटिक किरदारों से लेकर एक्शन, ड्रामा और कॉमेडी उन्होंने हर शैली में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। फूल और पत्थर ने उन्हें स्टार बनाया और शोले के वीरू के रूप में उन्होंने भारतीय सिनेमा में अमर पहचान बनाई। यह किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में उसी गर्मजोशी से बसता है। छह दशक से अधिक लंबे फिल्मी करियर में धर्मेंद्र को पद्म भूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
धर्मेंद्र की विरासत और अमर पहचान
धर्मेंद्र ने भारतीय सिनेमा को वह चमक और दमक दी, जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है। उनकी फिल्मों ने न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में दर्शकों का दिल जीता। वह ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो सीमाओं से परे जाकर पीढ़ियों को प्रभावित करती रहेगी।