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नई दिल्ली: एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज राही सरनोबत को लगता है कि एक दशक से ज्यादा समय तक शीर्ष स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के बावजूद वह वित्तीय रूप से सुरक्षित नहीं हैं।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर की इस 28 वर्षीय पिस्टल निशानेबाज को लगता है कि इतने समय की मेहनत के बाद उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक से उन्हें 70 लाख रूपए (महाराष्ट्र सरकार से 50 लाख रूपये और खेल मंत्रालय से 20 लाख रूपये) का इनाम मिला लेकिन शीर्ष स्तर के निशानेबाज का खर्चा काफी रहता है और उन्होंने इसमें से अपने व्यक्तिगत कोच मुंखबायर दोर्जसुरेन को भी कुछ हिस्सा दिया जो पूर्व ओलंपिक पदकधारी और मंगोलिया के विश्व चैम्पियन है, पर अभी वह जर्मनी के नागरिक हैं। वह उन्हें हर साल करीब 50 लाख रूपए देती हैं और नहीं जानती कि कब तक वह उन्हें अपनी जेब से यह राशि दे पाएंगी। लेकिन वह 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी ट्रेनिंग से जरा भी समझौता नहीं करना चाहतीं।

ओजीक्यू राही का प्रायोजक है और वह अपने राज्य के राजस्व विभाग में डिप्टी कलेक्टर हैं लेकिन अपनी खेल प्रतिबद्धताओं के कारण 2017 सितंबर से वह बिना वेतन के चल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता हे कि पेशवर निशानेबाज के तौर पर मेरे पास 4 साल से ज्यादा का समय नहीं है और भारत के लिए 12 साल तक खेलने के बावजूद भी मेरे वित्तीय हालत इतने अच्छे नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने राज्य के राजस्व विभाग से बिना वेतन के छुट्टी ली हुई है। मुझे सितंबर 2017 से वेतन नहीं मिला है। मैंने अपने नियोक्ता से मुंबई जाकर बात करने के बारे में सोचा लेकिन पेशेवर निशानेबाज के तौर पर समय निकालना काफी मुश्किल है। हमारे लगातार टूर्नामेंट हैं और अगर टूर्नामेंट नहीं हों तो हम ट्रेनिंग में व्यस्त रहते हैं। मैं भी ज्यादा प्रायोजक चाहती हूं लेकिन इस प्रक्रिया से वाकिफ नहीं हूं।’