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खेल डैस्क : कुलदीप यादव को बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टेस्ट की अंतिम एकादश में जगह नहीं मिलने से हैरान पूर्व दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह को लगता है कि क्या यह बेहतर रहेगा अगर बाएं हाथ का कलाई का यह स्पिनर ‘मैच का सर्वश्रेठ खिलाड़ी पुरस्कार’ नहीं जीते या 5 विकेट नहीं चटकाए। टेस्ट क्रिकेट में 22 महीने के बाद वापसी करते हुए कुलदीप ने चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में 8 विकेट चटकाए जिसमें पहली पारी में 40 रन पर 5 विकेट भी शामिल हैं।

 

उन्होंने बल्ले से भी 40 रन का उपयोगी योगदान दिया लेकिन उन्हें दूसरे टेस्ट में जगह नहीं दी गई। हरभजन इससे निराश दिखे। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि मुझे लगता है कि अब से कुलदीप को 5 विकेट लेना बंद कर देना चाहिए। क्या पता इससे उसे लगातार 2 टेस्ट मैच खेलने का मौका मिल जाए। 

 

उन्होंने कहा कि चटगांव टेस्ट से पूर्व पिछली बार उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में (99 रन पर 5 विकेट) अलग हालत में 5 विकेट चटकाए थे। उसे विदेशी हालात में भारत का नंबर एक स्पिनर होना चाहिए था लेकिन उसे टेस्ट खेलने के लिए 2 साल से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। अब उसे लगभग 2 साल बाद दोबारा टेस्ट खेलने का मौका मिला और उसे फिर टीम से बाहर कर दिया गया। इसके पीछे का तर्क जानने में खुशी होगी।

 

हरभजन को लगता है कि भारतीय क्रिकेट में ‘सुरक्षा’ सिर्फ एक शब्द बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि मैं किसी खिलाड़ी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन टेस्ट ढांचे में कुछ खिलाडिय़ों को लंबे समय तक मौके मिले, पांच साल तक भी। कुलदीप के मामले में लगता है कि इस तरह की सुरक्षा की मियाद सिर्फ 5 दिन है। अगर किसी को 8 विकेट चटकाने के बाद भी बाहर कर दिया जाएगा तो फिर वह कैसे सुरक्षित महसूस करेगा। क्या वह निडर होकर खेल सकता है जबकि टीम प्रबंधन ने उसके अंदर डर भर दिया है।