स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के पूर्व टेस्ट बैटर करुण नायर एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार बल्ले से नहीं, बल्कि अपने भावनात्मक सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से। साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाली दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए उनका नाम टीम में शामिल नहीं किया गया, जिससे वह स्पष्ट रूप से निराश दिखे। इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट टीम में वापसी करने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि नायर फिर से टीम का हिस्सा बनेंगे, लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें नजरअंदाज़ कर दिया। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद उनकी अनदेखी ने चयन प्रक्रियाओं पर फिर से बहस छेड़ दी है।
करुण नायर की भावुक पोस्ट ने बढ़ाई चर्चा
करुण नायर ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक संदेश साझा किया जिसने काफी ध्यान खींचा। उन्होंने लिखा,
"कुछ हालात ऐसे होते हैं जिन्हें आप दिल से जानते हैं और वहां न होने की खामोशी अपनी ही चुभन पैदा करती है।" इस पोस्ट ने साफ कर दिया कि टेस्ट टीम से बाहर छोड़े जाने का फैसला उन्हें अंदर तक खल रहा है।
घरेलू क्रिकेट में शानदार फॉर्म लेकिन टीम में जगह नहीं
टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद करुण नायर ने रणजी ट्रॉफी में जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
कर्नाटक के लिए खेले गए 5 मैच
100+ औसत
600 से अधिक रन
इसके बावजूद चयनकर्ताओं ने उन्हें साउथ अफ्रीका सीरीज़ के लिए नहीं चुना। टीम मैनेजमेंट ने इसके बजाय नंबर 3 पर वाशिंगटन सुंदर और बाद में साई सुदर्शन को मौका देने का फैसला किया।
गिल की चोट से बढ़ी बल्लेबाजी की परेशानी
कोलकाता टेस्ट की पहली पारी में शुभमन गिल को गर्दन में चोट लगी, जिसके बाद भारत की बल्लेबाजी और कमजोर दिखाई दी। नतीजा यह रहा कि नंबर 3 पर सुदर्शन, नंबर 4 पर ध्रुव जुरेल, जैसे युवा खिलाड़ियों को जिम्मेदारी निभानी पड़ी, लेकिन वे प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर सके। ऐसे में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि अनुभवी नायर को क्यों नजरअंदाज किया गया?
नायर का पुराना रिकॉर्ड टीम के हित में था?
भारत ने आखिरी बार 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ 400+ रन देकर टेस्ट जीता था — वह मैच जिसमें करुण नायर ने चेन्नई में ट्रिपल सेंचुरी लगाई थी। बावजूद इसके, इंग्लैंड दौरे पर उन्हें स्थिर स्लॉट नहीं दिया गया और नंबर 3 और नंबर 6 के बीच लगातार बदलाव करना पड़ा।
सलेक्टर्स का बचाव: "हमारी उम्मीदें अधिक थीं"
जब पहले वेस्टइंडीज सीरीज़ के लिए करुण को बाहर किए जाने के कारणों पर सवाल उठे, तो BCCI के चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर ने कहा, "हमें करुण से थोड़ी ज़्यादा उम्मीद थी। उसने चार टेस्ट खेले और हम सभी को 15–20 टेस्ट देने का मौका नहीं दे सकते। हमें लगा कि पडिक्कल ज़्यादा उपयोगी विकल्प हैं।"
मिडिल-ऑर्डर के संघर्ष ने उठाए नए सवाल
मिडिल-ऑर्डर लगातार विफल रहा है। भारत अपने घर में दो बार व्हाइटवॉश होने के खतरे से जूझ रहा है और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की संभावनाएं भी कमजोर होती दिख रही हैं। ऐसे में यह बहस तेज हो गई है कि क्या युवा खिलाड़ियों को मौका देना सही था, या करुण नायर जैसे अनुभवी बल्लेबाज टीम के लिए ज्यादा फायदे मंद साबित होते?