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स्पोर्ट्स डेस्क : भारत और साउथ अफ्रीका के बीच चल रही टेस्ट सीरीज़ में मेजबान टीम 0-1 से पीछे है, और गुवाहाटी टेस्ट के दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक स्थिति और मुश्किल नजर आ रही है। साउथ अफ्रीका 480 रन की विशाल बढ़त के साथ मैच पर पूरी तरह नियंत्रण में है। ऐसे माहौल में पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री का मानना है कि टीम इंडिया के पास अभी भी वापसी का रास्ता है, लेकिन यह तभी संभव है जब हेड कोच गौतम गंभीर बड़ा टैक्टिकल दांव खेलने का साहस दिखाएं। शास्त्री ने सुझाव दिया है कि भारत को पारंपरिक डिफेंसिव रणनीति छोड़कर सकारात्मक, जोखिमभरी रणनीति अपनाने की जरूरत है। 

साउथ अफ्रीका का दबदबा: निचले क्रम की शानदार साझेदारी

गुवाहाटी टेस्ट में साउथ अफ्रीका की बढ़त का सबसे बड़ा आधार उनका निचला मध्यक्रम रहा। सेनुरन मुथुसामी ने अपने करियर की पहली टेस्ट सेंचुरी लगाई, जबकि मार्को जेनसन ने 91 गेंदों में 93 रन की तेजतर्रार पारी खेलकर भारतीय गेंदबाजों को धो दिया। दोनों खिलाड़ियों की साझेदारी ने न केवल स्कोर बोर्ड को मजबूत किया बल्कि भारतीय गेंदबाजों का धैर्य भी तोड़ दिया। उनकी संयमित बल्लेबाजी और आक्रामक शॉट सिलेक्शन ने टीम को 489 रन के विशाल स्कोर तक पहुंचाया। 

भारतीय टीम के सामने चुनौती: समय नहीं, इरादा चाहिए

मैच में भारी पिछड़ने के बाद शास्त्री का मानना है कि भारत को सावधान, डिफेंसिव खेल छोड़कर आक्रामक होकर रन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि टीम जीतना चाहती है, तो जोखिम उठाने होंगे और गेम की दिशा को जल्दी बदलना होगा। यह तभी होगा जब भारत तेजी से रन बनाए, बोर्ड पर पर्याप्त स्कोर खड़ा करे और साउथ अफ्रीका को दोबारा बल्लेबाजी करने पर मजबूर करे—चाहे इसके लिए पारी को विरोधी की तुलना में 80–100 रन पीछे रहते हुए घोषित ही क्यों न करना पड़े।

शास्त्री का सुझाव: “पीछे रहकर डिक्लेयर करना पड़े तो करें”

स्टार स्पोर्ट्स पर बातचीत करते हुए शास्त्री ने कहा, “भारत को सुबह देखना होगा कि नई गेंद का सामना कैसे होता है। अगर शुरुआत अच्छी रही, तो आगे आक्रामक होकर मैच को जीत की दिशा में ले जाने का लक्ष्य रखें। आप 489 रन पीछे रहकर लंबे समय तक खेलते नहीं रह सकते, वरना परिणाम की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत को “80, 90, यहाँ तक कि 100 रन पीछे डिक्लेयर करने पर भी विचार करना चाहिए,” क्योंकि यही तरीका उन्हें मैच में टिकाए रख सकता है।

टेस्ट इतिहास में पीछे रहकर डिक्लेयर करने का रिकॉर्ड

टेस्ट क्रिकेट में इससे पहले 33 बार ऐसा हुआ है जब किसी टीम ने अपनी दूसरी पारी विपक्ष से पीछे रहते हुए घोषित की है। लेकिन इनमें से केवल तीन मौकों पर ही टीमों को जीत मिली है, जिससे पता चलता है कि यह रणनीति जोखिमों से भरी होती है। भारत ने चार बार यह टैक्टिक अपनाई है, लेकिन अभी तक एक भी जीत हासिल नहीं की।

1948, मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया ने हराया (103 रन पीछे डिक्लेयर)
1978, फैसलाबाद: पाकिस्तान से 41 रन पीछे — मैच ड्रॉ
1982, कानपुर: इंग्लैंड से 1 रन पीछे — मैच ड्रॉ
2012, नागपुर: इंग्लैंड से 4 रन पीछे — मैच ड्रॉ
इस बार गंभीर और शास्त्री जैसी सोच अपनाना भारत के लिए नया अध्याय लिख सकता है या फिर एक और डिफेंसिव नतीजे की ओर ले जा सकता है। 

क्या भारत जोखिम लेकर सीरीज में बराबरी कर पाएगा? 

अब नजरें इस बात पर होंगी कि क्या टीम प्रबंधन मैच बचाने की बजाय जीत के लिए जोखिम उठाने को तैयार है। यदि गंभीर आक्रामक दृष्टिकोण अपनाते हैं और खिलाड़ी उसे मैदान पर लागू करते हैं, तो भारत 1-1 से सीरीज़ समान कर सकता है। अन्यथा, साउथ अफ्रीका की पकड़ और मजबूत हो सकती है।