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कानपुर : अपनी हरियाली और बेहतरीन खूबियों वाले मैनुअल स्कोरबोर्ड के कारण दुनिया में दशकों तक अलग पहचान रखने वाले ग्रीनपार्क मैदान में 27 सितंबर से शुरु होने वाले मैच में ऐतिहासिक स्कोरबोर्ड के अवशेष के भी दर्शन नहीं होंगे। वर्ष 1952 में तैयार और 1957 में यहां वेस्टइंडीज के खिलाफ हुए टेस्ट मैच में पहली बार इस्तेमाल होने वाला अनूठा स्कोरबोर्ड रखरखाव के अभाव के कारण कबाड़ में तब्दील हो चुका है। हालांकि स्कोरबोर्ड का कुछ हिस्सा अब भी मैदान के प्राचीन स्वरुप को दिखाने और दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को आकर्षित करने के लिए काफी है मगर कल शुरू होने वाले मैच में इस स्कोरबोर्ड को एक पान मसाला कंपनी के विज्ञापन बोर्ड से ढक दिया गया है।

 

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यहां दिलचस्प है कि ग्रीनपार्क स्टेडियम की विजिटर गैलरी में मैदान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाया गया है मगर मैदान की शान रहे स्कोरबोर्ड को तवज्जो नहीं दी गई है। एक जमाने में इसे दुनिया का सबसे बड़ा मैनुअल स्कोर बोर्ड माना जाता था जिसे 1952 में एसएम बशीर व जगजीत सिंह ने बनाकर तैयार किया था। इस स्कोरबोर्ड की संचालित करने के लिए 80 आपरेटर लगाए जाते थे। स्कोर बोर्ड में दोनों टीम के खिलाड़ियों के नाम के साथ-साथ अंपायर के नाम भी लिखे जाते थे। इसके अलावा रन रेट और लाइव स्कोरिंग की सुविधा भी मौजूद थी।

 

 

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कम्प्यूटर की तरह काम करने वाले दो स्कोरबोर्ड में जिस खिलाड़ी के पास बॉल जाती थी, उस खिलाड़ी के नाम के आगे वाली लाइट जल जाती थी जबकि बैटिंग करने वाले खिलाड़ी के आगे हरी लाइट जलती थी और आउट होने के बाद लाल रंग की लाइट जल जाती थी। इस स्कोरबोर्ड की तारीफ लीजेंड सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, गुंडप्पा विश्वनाथ, जावेद मियांदाद, गैरी सोबर्स समेत देश दुनिया के कई दिग्गज कर चुके हैं और ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के जमाने में स्क्रीन पर चिपके लाखों खेल प्रेमियों की निगाह इस स्कोरबोर्ड को खोजने में लगी रहती थी। स्कोरबोर्ड का निर्माण करने वाले सरदार जगजीत सिंह और एसएम बशीर अब इस दुनिया में नहीं है। जगजीत सिंह का परिवार भी अब कानपुर में नहीं रहता मगर बशीर के वंशजों को स्कोरबोर्ड के प्रति यूपीसीए की बेरुखी से निराशा है।

 

 

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खेल निदेशालय के अधीन इस मैदान को उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ लीज पर लेता रहा है हालांकि पिछले कुछ सालों में लखनऊ के इकाना स्टेडियम और अन्य मैदानों की ओर बीसीसीआई और यूपीसीए की दिलचस्पी बढ़ने से मैदान की सेहत दिन पर दिन बिगड़ती रही है जिसका नतीजा है कि कभी 42 हजार दर्शक क्षमता वाले इस मैदान की क्षमता महज 25 हजार की रह गई है। क्रिकेट आयोजकों की बेरुखी का शिकार यहां का ऐतिहासिक स्कोरबोर्ड भी रहा है और 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए टी20 मैच के बाद यह स्कोरबोर्ड गर्दिश के अंधेरे में गुम हो चुका है।