ब्रिस्बेन : इंग्लैंड की पूर्व महिला क्रिकेटर ईशा गुहा ने कमेंट्री करते समय जसप्रीत बुमराह को 'प्राइमेट' कहने की अपनी गलती मान ली है।
गाबा में दूसरे दिन के खेल के पहले सत्र के दौरान जब बुमराह तूफानी स्पैल खेल रहे थे तो ब्रेट ली की तारीफ के बाद ईशा ने बोल दिया था कि ठीक है, वह एमवीपी है, है ना? सबसे मूल्यवान प्राणी, जसप्रीत बुमराह। प्राइमेट शब्द आम तौर पर जानवर जैसे दिखने वाले इंसान के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ईशा के ऐसा करते ही 2008 के मंकीगेट कांड की यादें ताजा हो गई थीं। लेकिन गाबा में तीसरे दिन के खेल से पहले ईशा ने माफी मांगकर मामला ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की।
ईशा ने कहा कि कल कमेंटरी में मैंने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया जिसकी कई अलग-अलग तरीकों से व्याख्या की जा रही है। सबसे पहले, मैं किसी भी अपराध के लिए क्षमा चाहती हूं। जब दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान की बात आती है तो मैंने अपने लिए वास्तव में उच्च मानक स्थापित किए हैं और यदि आप पूरी बात सुनेंगे तो तो मेरा मतलब केवल भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक की अधिक प्रशंसा करना ही था। मैं समानता की समर्थक हूं। मैं उनकी उपलब्धियों की विशालता को रेखांकित करने का प्रयास कर रही हूं। मैंने गलत शब्द चुन लिया है और इसके लिए मुझे गहरा खेद है।
उसने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो दक्षिण एशियाई विरासत का भी है, मुझे उम्मीद है कि लोग पहचान लेंगे कि वहां कोई अन्य इरादा या दुर्भावना नहीं थी। मुझे उम्मीद है कि अब तक के महान टेस्ट मैच पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा, और मैं यह देखने के लिए उत्सुक हूं कि यह आगे कैसे जाता है। एक बार फिर, मुझे वास्तव में खेद है।
वहीं, भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने इस मुद्दे को संबोधित करने और टेलीविजन पर माफी मांगने के लिए ईशा की सराहना की। उन्होंने कहा कि बहादुर महिला। इसे लाइव टेलीविजन पर करने और माफी मांगने के लिए कुछ स्टील की जरूरत होती है। जहां तक मेरा सवाल है, खेल खत्म। लोगों को गलतियां करने का अधिकार है। हम सभी इंसान हैं। अपनी बात मानने और कहने के लिए, 'मुझे क्षमा करें'... इसके लिए साहस की आवश्यकता होती है। चलिए आगे बढ़ते हैं। जहां तक भारतीय टीम का सवाल है, अभी टेस्ट चल रहा है और वे खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।