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मुंबई ( निकलेश जैन ) जैसे शतरंज में मुश्किल बाजी होने पर भी खिलाड़ी उम्मीद और सावधानी रखते हुए कुछ ना कुछ अच्छा करने की कोशिश करता रहता है वैसा ही आज हमें अपने जीवन में इस कोरोना वाइरस के चलते उत्पन्न स्थिति में करना चाहिए ये कहना है भारत के अनुभवी ग्रांड मास्टर हिमांशु शर्मा का जिन्होने पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए यह बात कही । हिमांशु शर्मा अपनी खुद की मेहनत के बलबूते ग्रांड मास्टर बने और वह ऐसा करने वाले हरियाणा के पहले खिलाड़ी है । 
सवाल – आप इस समय कहाँ है और इस वक्त का कैसे सामना कर रहे है ?

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हिमांशु – मैं इस समय मुंबई में हूँ अपने परिवार रोहतक से काफी दूर हूँ ,शतरंज खेल रहा हूँ पर अकेला रहना आसान नहीं होता वह भी लगातार एक कमरे में बंद रहना ,मानसिक  और भावनात्मक तौर पर यह काफी कठिन है ,यह समय प्रति पल आपकी परीक्षा ले रहा है ऐसे में ऑनलाइन शतरज खेलने के अलावा सीख भी रहा हूँ साथ ही ध्यान करके खुद को तनावमुक्त रख रहा हूँ 
क्या इस समय बच्चो के लिए शतरंज अच्छा खेल हो सकता है ?

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हिमांशु – वैसे तो शतरंज हर उम्र के लोगो के लिए है लेकिन आज के दौर के बच्चो के लिए यह शानदार है क्यूंकी वह बहुत तेजी से सीखते है ,यह खेल उनको मानिसक ,मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत बनाता है ,आगे सोचने और बचाव की  बाते सिर्फ शतरंज ही सिखाता है ,मुझे लगता है इस समय घरों में बंद हमारे बच्चों के लिए यह एक शानदार खेल है । 
देश के लोगो को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
भारतीय होने के नाते हमारे सारे फ्रंटलाइन हीरो को नमन जो आगे रहकर हमारी इससे रक्षा कर रहे है । सभी से अपील है इस मुश्किल घड़ी में भी सकारात्मक सोचे शतरंज का खेल हमें यही सिखाता है आशा बनाए रखे हम जरूर कोरोना से यह जंग जीतेंगे ।  

हिमांशु शर्मा वर्तमान मे भारतीय रेल्वे के महत्वपूर्ण खिलाड़ी है साथ ही उन्हे भारत के अंदर होने वाले सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय रेटेड टूर्नामेंट जीतने के लिए जाना जाता है । रोहतक हरियाणा के मूलतः हिमांशु  ग्रांड मास्टर बनने वाले उत्तर भारत के चुनिन्दा खिलाड़ियों मे से एक है ।