नई दिल्ली : एसजी पाइपर्स हॉकी के डायरेक्टर पीआर श्रीजेश ने कहा है कि अगर फ्रेंचाइजी को हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के आने वाले सीजन में अच्छा प्रदर्शन करना है, तो अनुभवी खिलाड़यिों को आगे बढ़कर नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी, खासकर जब हालात ठीक न हों।
भारत के पूर्व महान खिलाड़ी ने कहा, 'पिछले सीजन में हमने जीत के साथ शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद टीम बिखर गई, टीम को संभालने वाला कोई लीडर नहीं था, अनुभवी खिलाड़यिों को आगे आकर कमान संभालनी चाहिए थी। इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए।' एसजी पाइपर्स 2024-25 सीजन में पुरुष और महिला दोनों कैटेगरी में टेबल में सबसे नीचे रही थी। श्रीजेश, जो जूनियर इंडिया हॉकी टीम के हेड कोच भी हैं, ने बताया कि पूर्व भारतीय अंतरराष्ट्रीय अनुभवी खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह को टीम में मेंटरशिप और बीच में नेतृत्व देने के लिए चुना गया है।
'रूपिंदर को चुनने के पीछे मेरा विचार यह था कि हमें एक मेंटर की जरूरत है, हमें ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत है जो मैदान पर टीम को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करे। हम उनका समझदारी से इस्तेमाल करेंगे ताकि उनसे ज़्यादा से ज़्यादा फायदा मिल सके।' पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिनके नेतृत्व में भारत की जूनियर हॉकी टीम ने 2025 के हॉकी जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीता था, ने कहा कि वह परिणाम से खुश हैं, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि आने वाले दिनों में टीम के प्रदर्शन का बारीकी से विश्लेषण किया जाएगा।
'कांस्य पदक अच्छा है, इन युवा खिलाड़यिों के पास अपने सभी प्रयासों का नतीजा दिखाने के लिए कुछ है, हालांकि, महत्वपूर्ण यह है कि वे समझें कि वे सेमीफाइनल में या पूरे टूर्नामेंट में और क्या कर सकते थे। इसलिए एचआईएल के बाद हम सबसे पहले उन्हें उनके सभी मैच दिखाएंगे। मैं चाहता हूं कि वे जानें कि 2027 में उन्हें उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, शायद किसी दूसरे शहर में, और उन्हें उनसे निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना होगा।'
उन्हें लगा कि जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में, जिसमें भारत हार गया था, वह बेहतर फैसले ले सकते थे। 'मुझे लगा कि जर्मनी के खिलाफ मैच के दौरान मैं कुछ चीजें बेहतर कर सकता था, टैक्टिकली और फैसले लेने के मामले में भी। हालांकि मेरे ज़्यादातर फैसले सही थे, यहां तक कि अर्जेंटीना के खिलाफ हमने जो इनडायरेक्ट वेरिएशन किए थे, हमने वही वेरिएशन उनके खिलाफ लगातार आजमाए और वे काम आए, साथ ही, मेरा एक और शानदार फैसला यह था कि आखिरी फ्लिक के लिए रोहित की जगह मैंने अनमोल को लेने के लिए कहा, जो सही साबित हुआ।'
श्रीजेश, जिन्होंने तीन बार FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर का अवॉडर् जीता है, ने एक खिलाड़ी और एक कोच होने के बीच कुछ बड़े अंतर बताए।उन्होंने कहा, 'मैं अपने कोचिंग रोल का आनंद ले रहा हूं, जूनियर टीम के साथ लगभग एक साल हो गया है, और मैं नए खिलाड़यिों के एक नए ग्रुप का इंतजार कर रहा हूं, और मुझे नए ग्रुप के साथ शुरू से शुरुआत करनी होगी, इसलिए यह एक बड़ी चुनौती होने वाली है। एक खिलाड़ी के तौर पर, प्रोग्रेस लीनियर होती है 1 से 10, फिर 10 से 15, 15 से 20 और इसी तरह, लेकिन एक कोच के तौर पर आप 20 तक पहुंचते हैं, फिर जब नया बैच आता है तो आप फिर से एक से शुरू करते हैं।'