कोलकाता : भारत के महान गोलकीपरों में से एक सुब्रत पाल ने शुक्रवार को खेल से संन्यास लेने का फैसला किया जिससे उनके 16 साल के करियर का अंत हो गया। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने एक्स पर पोस्ट किया- शुक्रिया स्पाइडरमैन। ब्लू टाइगर्स के गोलकीपर ने आज संन्यास ले लिया।
पॉल ने 2007 में लेबनान के खिलाफ विश्व कप क्वालीफायर में पदार्पण किया था और भारत के लिए 65 मैच खेले। उन्हें दोहा में 2011 एशियाई कप में दक्षिण कोरिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ शानदार गोलकीपिंग के लिए ‘स्पाइडरमैन' पुकारा जाने लगा जिसमें भारत ने 27 साल के बाद क्वालीफाई किया था। पॉल ने पूरे टूर्नामेंट में 35 से ज्यादा प्रयासों को विफल किया था तब से वह टीम के स्टार खिलाड़ियों में शामिल हो गए। दक्षिण कोरिया ने गोल में 20 शॉट लगाए थे और पॉल ने 16 का बचाव किया था जिसके बाद भारत 1-4 से हार गया था।
पॉल ने 2018 विश्व कप क्वालीफायर में कोच स्टीफन कांस्टेंटाइन के मार्गदर्शन में भारतीय टीम की कप्तानी भी की थी। भारत ने नेपाल को हराकर दूसरे दौर में प्रवेश किया था। क्लब स्तर पर उन्होंने शहर के दोनों बड़े क्लब मोहन बागान और ईस्ट बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।
पश्चिम बंगाल के सोडेपुर के 36 वर्षीय पॉल एक दुखद घटना में भी शामिल रहे जब डेम्पो के फॉरवर्ड क्रिस्टियानो जूनियर की 2004 फेडरेशन कप फाइनल में उनसे हुई टक्कर के बाद जान चली गयी थी। डेम्पो ने यह मैच 2-0 से जीता था। पॉल डेनमार्क की दानिश सुपर लीग टीम एफसी वेस्टजालांड के लिए भी खेले थे और विदेश में पेशेवर फुटबॉल खेलने वाले चौथे भारतीय बने।