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धर्मशाला : भारत के आलराउंडर हार्दिक पांड्या ने खुलासा किया कि जब पीठ की चोट से उबरने के उनके प्रयास सफल नहीं हो पा रहे थे तो वह मानसिक रूप से काफी दबाव में आ गए थे। पिछले साल अक्टूबर में पीठ की चोट की सफल सर्जरी के कारण 26 साल का यह खिलाड़ी 6 महीने तक क्रिकेट से दूर रहा। उनका अंतिम वनडे मैच मैनचेस्टर में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल मुकाबला था। फिर उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच पिछले साल सितंबर में बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 था।

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पांड्या अब अंतरराष्ट्रीय वापसी के लिए तैयार हैं, उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की वनडे टीम में चुना गया है। पांड्या ने श्रृंखला के शुरूआती मैच से पहले बीसीसीआई के ‘चहल टीवी' पर कहा, ‘सबसे पहले मैंने 6 महीनों में सबसे ज्यादा यह माहौल ‘मिस' किया, भारत के लिए खेलना, ये कपड़े पहनकर जो अहसास होता है। वो एक तरीके से मानसिक चुनौती हो जाती है। बहुत सारी रूकावटें आईं।' उन्होंने कहा, ‘मैं कोशिश कर रहा था कि जल्दी फिट हो जाऊं। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था तो मैं दबाव में आ गया था। उस समय काफी मानसिक रूप से दबाव में आ गया था। चीजें मुश्किल लगने लगी थी। लेकिन सब कुछ ठीक हो गया, रिहैब अच्छा हुआ। काफी लोगों ने मदद की।' 

पिछले महीने उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया लेकिन पूर्ण फिटनेस हासिल नहीं करने की वजह से न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में भी नहीं खेल पाए थे। लेकिन उन्होंने डी वाई पाटिल टी20 कप में रिलायंस वन टीम की ओर से खेलकर प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी की। इसमें उन्होंने दो शतक जड़े जिसमें से दूसरा शतक 55 गेंद में नाबाद 158 रन था जिसमें उन्होंने 20 छक्के जड़े थे। पांड्या ने कहा कि यह उनके लिए अहम पारी थी। 

उन्होंने कहा, ‘साढ़े छह महीने तक एक भी मैच नहीं खेला था। मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करना चाहता था जिसके लिए आत्मविश्वास काफी अहम था। आप भले ही कितना ही अभ्यास करो लेकिन मैच के हालात हमेशा अलग होते हैं।' उन्होंने कहा, ‘मैंने खेलना जारी रखा, मेरे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती रही और छक्के भी लगते रहे। मैंने सोचा कि अगर छक्के लग रहे हैं तो मुझे रूकना नहीं चाहिए और मैं लगाता गया। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पारी में 20 छक्के लगाऊंगा।'