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स्पोर्ट्स डेस्क : दिल्ली में जन्मे क्रिकेटर निखिल चौधरी इस हफ्ते अपने करियर का सबसे बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित रेड-बॉल प्रतियोगिता, शेफील्ड शील्ड में तस्मानिया के लिए उनका डेब्यू लगभग तय है। भारत में पंजाब के लिए लिस्ट ए क्रिकेट खेलने वाले चौधरी रणजी ट्रॉफी से वंचित रह गए थे, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया में उनकी मेहनत रंग लाई है। स्थानीय क्लब मैचों से शुरू हुई यह यात्रा आज उन्हें तस्मानिया की जर्सी तक ले आई है।

पंजाब से ऑस्ट्रेलिया तक का सफर 

निखिल चौधरी ने पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हुए शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा और अर्शदीप सिंह जैसे सितारों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया। हालांकि उन्हें रणजी ट्रॉफी में कभी खेलने का मौका नहीं मिला। ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद चौधरी ने क्लब क्रिकेट और वीकेंड टूर्नामेंट से शुरुआत की और धीरे-धीरे राज्य अनुबंध तक पहुंच गए।

होबार्ट हरिकेंस से तस्मानिया तक 

ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद उनकी मेहनत ने उन्हें बिग बैश लीग की टीम होबार्ट हरिकेंस तक पहुंचाया। इसके बाद क्रिकेट तस्मानिया ने उन्हें लिस्ट ए मैचों में मौका दिया, जहां उन्होंने न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ 2 विकेट लिए और विक्टोरिया के खिलाफ 67 रन की पारी खेली। यही प्रदर्शन उनके फर्स्ट क्लास डेब्यू की राह बना।

दृढ़ता की मिसाल 

क्रिकेट तस्मानिया की हाई परफॉर्मेंस प्रमुख सैलियन बीम्स ने निखिल की कहानी को दृढ़ संकल्प की मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि देश बदलने के बाद ढलना आसान नहीं होता, लेकिन चौधरी ने लगातार रन और प्रदर्शन से खुद को साबित किया। उनकी भूख और जुनून टीम को मजबूती देंगे और युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेंगे।

भारतीय विरासत को आगे बढ़ाते हुए 

ऑस्ट्रेलियाई घरेलू क्रिकेट में भारतीय खिलाड़ियों की मौजूदगी बेहद दुर्लभ है। 1960 के दशक में रूसी सुरती ने क्वींसलैंड के लिए खेलते हुए मिसाल कायम की थी। निखिल चौधरी अब उस इतिहास में नया अध्याय जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “पंजाब से तस्मानिया तक का यह सफर बताता है कि मेहनत और विश्वास से कोई भी सपना दूर नहीं होता।”