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रांची: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज़ गेंदबाज डेल स्टेन का कहना है कि 38 साल की उम्र में जहां ज़्यादातर खिलाड़ी घर, परिवार और आराम को प्राथमिकता देने लगते हैं, वहीं विराट कोहली की जुझारू मानसिकता और खेल के प्रति समर्पण आज भी कमाल का है। रांची वनडे में कोहली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने वनडे करियर का 52वां शतक जड़ा और एक बार फिर साबित किया कि इस फॉर्मेट में वह अब भी बेजोड़ हैं।

“कोहली मानसिक रूप से अब भी बेहद युवा” — स्टेन

स्टेन ने जियोस्टार से कहा, 'ज्यादातर 37–38 साल के खिलाड़ी घर, बच्चों और पालतू जानवरों को छोड़कर यात्रा करने में हिचकिचाते हैं। लेकिन कोहली मानसिक रूप से ऐसे स्तर पर हैं जहां भारत के लिए खेलना अब भी उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उनकी रनिंग, फील्डिंग और डाइविंग देखकर साफ पता चलता है कि वह कितने तरोताज़ा और भूखे हैं।'

उनके अनुसार कोहली का अनुभव उन्हें और खतरनाक बनाता है। '15–16 साल में 300 से ज़्यादा वनडे खेलने के बाद यह सब उनके शरीर और दिमाग में बस चुका है। तीन दिन बारिश भी हो जाए तो उनकी तैयारी पर फर्क नहीं पड़ेगा। दुनिया के टॉप खिलाड़ी ऐसे ही होते हैं—मानसिक रूप से बेहद मजबूत।'

“सबसे बड़ी बात—वह आज भी खेल को लेकर उत्साहित हैं”

स्टेन ने आगे कहा, 'वह खुद पर भरोसा रखते हैं और इतने लंबे समय तक खेलने के बाद भी उनका जुनून कम नहीं हुआ। यही उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाता है।'

कोहली बोले—“मेरा खेल हमेशा मानसिक रहा है”

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना 83वां शतक जमाने के बाद कोहली ने अपनी तैयारी और मानसिकता पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत ज़्यादा टेक्निकल तैयारी में विश्वास नहीं करता। मेरा क्रिकेट हमेशा मानसिक रहा है। शारीरिक मेहनत जरूर करता हूं, और जब तक मेरी फिटनेस अच्छी है और मैं अंदर से अच्छा महसूस करता हूं—सब ठीक चलता रहता है।'