Sports

स्पोर्ट्स डेस्क : अनवर अली को हाल ही में ईस्ट बंगाल ने इंडियन फुटबॉल लीग (आईएसएल) 2024-25 सीजन के लिए 4.80 करोड़ रु. में साइन किया है और इसी के साथ ही वह देश के सबसे महंगे फुटबॉलर बन गए है। इससे पहले वह मोहन बागान का हिस्सा थे, जहां उनका पैकेज 2.40 करोड़ का था। 

रेलवे क्रॉस्टिंग के पास शेड में रहता था परिवार

जालंधर के आदमपुर के रहने वाले अनवर अली के लिए यह सफर आसान नहीं था। रेलवे क्रॉस्टिंग के पास शेड में परिवार रहता था। पिता मजदूरी करने सऊदी अरब चले गए थे, मां दूसरे के खेतों में काम करती थी। फुटबॉल ने गुरबत कुछ दूर की, अली का नाम बेहतरीन सेंटर बबैक्स में होने लगा तो एक मेडिकल कंडीशन ने रास्ते रोक दिए। 19 साल की उम्र में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने अली को कोच बनने का ऑफर दे दिया। 

दिल की मेडिकल कंडीशन की वजह से खेलने पर रोक

दरअसल दिल की मेडिकल कंडीशन की वजह से एआईएफएफ ने खेलने पर रोक लगा दी थी। 2019-20 का साल अली ने फुटबॉल की मैदान पर कम और कोर्ट में ज्यादा गुजारा, खेलने का एक मौका मांगने के लिए। कोर्ट में जीते भी। मैदान पर संघर्ष दोबारा शुरू हुआ। इंटरनेशनल खेल चुके अली ने 2020 में जूनियर लेवल से बापसी की।  

2019 में मुंबई सिटी ने साइन किया तो हर खिलाड़ी की तरह अली का भी मेडिकल टेस्ट हुआ। इसमें सामने आया कि अली के दिल का निचला हिस्सा फैटी है। मुंबई सिटी ने यह रिपोर्ट एआईएफएफ को भेजी और कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। हालांकि वर्ष 2020 में मोहमडून एससी अली को खिलाने को तैयार था, साइन भी कर लिया। लेकिन एआईएफएफ ने यहां भी अड़ेगा लगाया और कहा कि अली को नहीं खिला सकते। 

मेंटर रंजीत बजाज ने अपने हाथों में लिया केस 

अली के मामले को मेंटर रंजीत बजाज ने अपने हाथों में लिया और मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक गया। हाईकोर्ट में यूके की फुटबॉल प्रीमियर लीग के हेड कार्डियोलॉजिस्ट संजय शर्मा ने बताया- हायपरट्रॉफिक कार्डियक्रमायोपैथी कोई बीमारी नहीं है, कम उम्र में जब कोई खेलना शुरू करता है तो दिल के निचले हिस्से में ऐसे मसल्स डेवलप हो जाते हैं। इससे खिलाड़ी की जान को खतरा नहीं होता। यूके में 40 फीसदी फुटबॉलर्स की ऐसी स्थिति होती है। 

वो तब मेरे साथ खड़े थे, जब कोई नहीं था 

मैं भगवान के साथ अपने कोच के करीब हूं। उन्हीं की बदौलत में यहां तक पहुंचा हूं। रंजीत बजाज सर और मिनर्वा एकेडमी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है। वो तब मेरे साथ खड़े थे, जब कोई नहीं था। खुशी है कि मैं आज उन्हें सही साबित कर पाया। 

NO Such Result Found