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जालन्धर (जसमीत) : रवि शास्त्री आखिरकार टीम इंडिया के दोबारा मुख्य कोच पद के लिए चुन लिए गए। दिग्गजों को छोड़कर अगर आम क्रिकेट फैंस के मन की बात सोशल मीडिया पर भी जानने को निकले तो यह पाएंगे कि शास्त्री के दोबारा कोच बनने चांस 99 फीसदी थे, क्योंकि वह मौजूदा भारतीय कप्तान विराट कोहली के नजदीकि तो है ही, साथ ही उनकी टक्कर में कोई बड़ा नाम न उतरना भी उनकी दोबारा जीत का कारण बना। कोच की सिलेक्शन प्रक्रिया से भारतीय टीम के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी दूर रहे। आइए आपको बताते हैं कि शास्त्री के दोबारा कोच बनने के पांच प्रमुख कारण-

क्रिकेट दिग्गज हट गए पीछे

5 reason why Ravi shastri remain indian cricket team head coach
भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ समय से सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का काफी रसूख रहा है लेकिन इन सभी दिग्गजों ने कोचिंग बाबत अपनी राय नहीं रखी। अगर इन दिग्गजों में कोई भी कोचिंग पद के लिए आवेदन करता तो शास्त्री को कड़ी टक्कर मिलनी तय थी। खास तौर पर अगर राहुल द्रविड़ अगर इस पद के लिए अप्लाई करते तो उनका दावा काफी ऊपर होना था। बता दें कि राहुल द्रविड़ विश्व विजेता भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के कोच रहे हैं। टीम के कई प्लेयरों के लिए वह प्रेरणा स्रोत है ऐसे में उन्हें टक्कर दे पाना शास्त्री के लिए आसान नहीं होना था। लेकिन इन दिग्गजों ने सिलेक्शन प्रक्रिया में दखल न देकर शास्त्री का रास्ता खुद ही साफ कर दिया।

कप्तान कोहली से नजदीकियां

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रवि शास्त्री के दोबारा कोच बनने की चर्चा इसलिए भी उठी थी क्योंकि  भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली उनकी पहले ही सिफारिश कर चुके थे। दरअसल विराट ने एक वार्ता के दौरान कहा था कि अगर रवि भाई दोबारा कोच बनते हैं तो इससे उन्हें खुशी होगी। माना जाता है कि शास्त्री के दोबारा चुनाव के पीछे कहीं न कहीं कप्तान विराट कोहली के रसूख का भी हाथ है। क्रिकेट के गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगर कोहली टीम इंडिया से अच्छा प्रदर्शन ले पा रहे हैं तो कोच किसे रखा जाए किसे नहीं, इस पर ज्यादा बात नहीं होनी चाहिए। शास्त्री और विराट की नजदीकियां तब भी बाहर आई थी जब टीम इंडिया के एक खिलाड़ी ने एक बड़े अखबार को दिए गुप्त इंटरव्यू में माना था कि टीम में कोहली और शास्त्री की ही चलती है। जो विरोध करता है, टीम से बाहर कर दिया जाता है।

ऑस्ट्रेलिया में जीत बनी वरदान

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शास्त्री का बतौर कोच करियर भी उनके दोबारा कोच बनने की राह में रोड़ा नहीं बना। शास्त्री के कोच रहते भारत ने 21 टेस्ट मैचों में से 13 में जीत दर्ज की। उसने 60 वनडे में 43 अपने नाम किए तथा 36 टी-20 अंतरराष्ट्रीय में से 25 में जीत हासिल की। सबसे खास बात उनके कोच रहते भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक स्थान तक पहुंची। उनकी कोचिंग में ही टीम इंडिया ने 71 वर्षों में पहली बार आस्ट्रेलिया को उसकी सरजमीं पर हराया। यह उपलब्धि शास्त्री के लिए दोबारा कोच बनने के लिए वरदान साबित हुई। इस उपलब्धि ने 2019 के विश्व कप में मिली हार को भी भुला दिया।

अनुभव का मिला फायदा

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शास्त्री मुख्य कोच पद के लिए कुल छह दावेदारों में सबसे ज्यादा अनुभव वाले थे। देखें आंकड़े- 
रवि शास्त्री (उम्र 57, 80 टेस्ट, 150 वनडे)
टॉम मूडी (53; 8 टेस्ट, 76 वनडे)
माइक हेसन (44; कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं)
फिल सिमंस (56; 26 टेस्ट, 143 वनडे)
लालचंद राजपूत (56; 2 टेस्ट, 4 वनडे)
रॉबिन सिंह (55; 1 टेस्ट, 136 एकदिवसीय
यह आंकड़े प्रमुख दावेदारों द्वारा खेले गए अंतरराष्ट्रीय मैचों के हैं। शास्त्री को सबसे ज्यादा टेस्ट क्रिकेट खेलने का अनुभव है। इसके अलावा वह बाकी पांच दावेदारों से वनडे मैच भी ज्यादा खेले हैं।

देशी कोच की फिलॉसफी ने दिलाया पद

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दरअसल, टीम इंडिया के लिए गैरी कस्र्टन को छोड़कर कभी विदेशी कोच ज्यादा फिट नहीं बैठा है। ऐसे में टीम इंडिया में कोच देशी को ही बनाने की बयार चल रही है। क्योंकि देश से शास्त्री के अलावा लालचंद राजपूत और रॉबिन सिंह ही दावा किया था तो ऐसे में शास्त्री को अपने अनुभव का सीधा फायदा मिला। अगर शास्त्री के मुकाबले कोई बड़ा नाम सामने आता तो उन्हें कड़ी टक्कर मिलनी तय थी। हालांकि टॉम मूडी और माइक हेसन के नामों की भी बराबर चर्चा चली लेकिन यह दोनों भी शास्त्री के अनुभव के आगे फीके पड़ गए।