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जालन्धर : उत्तर प्रदेश में क्रिकेट के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले रोहित चतुर्वेदी का बीते दिनों निधन हो गया था। 80 साल के बुजुर्ग क्रिकेटर ने लखनऊ में डालीगंज क्षेत्र के बाबूगंज मोहल्ले में अपने आवास पर अंतिम सांस ली थी। पूर्व क्रिकेटर की मृत्यु की खबर में गलती से प्रसिद्ध कॉस्ट्यूम डिजाइनर रोहित चतुर्वेदी की फोटो वेबसाइट पर प्रकाशित हो गई। कॉस्ट्यूम डिजाइनर और अभिनेता रोहित चतुर्वेदी ऊरी, लिपिस्टक अंडर माय बुर्खा, चाय गर्म जैसे फिल्मों के साथ जुड़े रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर की जगह उनकी फोटो प्रकाशित होने पर खेद व्यक्त किया जाता है।

ऐसा है कॉस्ट्यूम डिजाइनर रोहित चतुर्वेदी का प्रोफाइल

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पढऩे-लिखने में बचपन से ही तेज रोहित को उनके पिता सीए बनाना चाहते थे लेकिन मुंबई के कॉलेज में पढ़ते हुए फेस्टिवल के दौरान उनकी की स्टाइलिंग पर दोस्त की मां की नजर पड़ गई जोकि अपने एक टीवी शो के लिए कुछ ऐसा ही लताश रही थी। इसके बाद मैंने ‘द ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो’ के रूप में उन्होंने पहला शो किया। फिर राम गोपाल वर्मा की डरना जरूरी है, के रूप में पहली फिल्म मिली। इसके बाद द डैथ इन द गूंज के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता। 
रोहित की कुछ नामी फिल्में : डरना जरूरी है, मनी है तो हनी है, गोलमाल रिटन्र्स, लाहौर, चेज, थैंक यू, चाय गर्म, मंजूनाथ, सुपरनानी, ए डैथ इन द गूंज, लिपस्टिक अंडर माय बुर्खा, ऊरी- द सर्जिकल स्ट्राइक।

ऐसा है पूर्व क्रिकेटर रोहित चतुर्वेदी का प्रोफाइल

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यूपीसीए की चयन समिति के अध्यक्ष और क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी जैसे अहम पदों के जरिए राज्य क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मुकाम दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले रोहित चतुर्वेदी खतरनाक इन स्विंग के लिए जाने जाते थे। पूर्व रणजी क्रिकेटर अशोक बांबी उनके बारे में कहते हैं- रोहित भुवनेश्वर और प्रवीण कुमार से कई गुना ज्यादा खतरनाक इन स्विंग करते थे। उनके लेग कटर बल्लेबाजों के गिल्लियों को झटके से बिखेर देते थे।
चेतान चौहान को आऊट कर आए चर्चा में : रोहित ने 1971 में चेतन चौहान जैसे बल्लेबाज को एक मैच में पौने घंटे तक कोई रन नहीं बनाने दिया था। 1965 में दिल्ली की टीम के खिलाफ उन्होंने 12 रन देकर 8 विकेट झटके थे जोकि उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।