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स्पोर्ट्स डेस्क : नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (WPAC) 2025 का रोमांच अपने चरम पर रहा। भारत के स्टार पैरा एथलीट और दो बार के पैरालंपिक पदक विजेता योगेश कथुनिया ने एक बार फिर देश का मान बढ़ाते हुए पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 स्पर्धा में रजत पदक जीता। 28 वर्षीय कथुनिया ने 42.49 मीटर का शानदार थ्रो किया और लगातार तीसरे साल इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में रजत हासिल कर इतिहास रच दिया। 

लगातार तीसरा रजत पदक

कथुनिया की इस उपलब्धि की खासियत यह है कि यह उनका लगातार तीसरा रजत पदक है। उन्होंने 2023 (फ्रांस) और 2024 (जापान) में हुए विश्व चैंपियनशिप संस्करणों में भी रजत पदक जीते थे। इस बार भी वह ब्राज़ील के अनुभवी एथलीट क्लॉडनी बतिस्ता से पीछे रहे, जिन्होंने 45.67 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता। वहीं, ग्रीस के कॉन्स्टेंटिनोस त्ज़ोनिस ने 39.97 मीटर के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। दिलचस्प बात यह है कि टोक्यो 2020 पैरालंपिक और पेरिस 2023 विश्व चैंपियनशिप में भी कथुनिया बतिस्ता के बाद ही दूसरे स्थान पर रहे थे।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से चैंपियन तक का सफर

योगेश कथुनिया का सफर बेहद प्रेरणादायक है। नौ साल की उम्र में उन्हें गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति, हो गई थी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 2017 में कॉलेज के दिनों से पैरा स्पोर्ट्स में कदम रखा। देखते ही देखते वह भारत के सबसे भरोसेमंद डिस्कस थ्रो एथलीट बन गए और अब उनके खाते में दो पैरालंपिक रजत और तीन विश्व चैंपियनशिप रजत पदक शामिल हैं।

भारतीय दल का अब तक का प्रदर्शन

विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 भारत के लिए शानदार साबित हो रही है। अब तक भारतीय खिलाड़ियों ने छह पदक अपने नाम किए हैं, दो स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य। सोमवार का दिन तो भारतीय एथलेटिक्स के लिए यादगार बन गया।

रिंकू हुड्डा ने पुरुषों की भाला फेंक F46 वर्ग में 63.81 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता। यह प्रदर्शन चैंपियनशिप रिकॉर्ड भी बना। 
सुंदर सिंह गुर्जर ने उसी स्पर्धा में 64.76 मीटर का थ्रो कर रजत पदक अपने नाम किया।
इससे पहले, ऊंची कूद T63 में शैलेश कुमार ने स्वर्ण और वरुण सिंह भाटी ने रजत पदक जीते।
महिलाओं की 400 मीटर T20 स्पर्धा में दीप्ति जीवनजी ने रजत पदक हासिल किया।
हालांकि भाला फेंक में भारत के अजीत सिंह चौथे स्थान पर रह गए, वरना भारत के पदकों की संख्या में एक और पदक जुड़ सकता था।

भारत की उम्मीदें और आगे का रास्ता

योगेश कथुनिया की लगातार पदक जीत भारत की पैरा एथलेटिक्स ताकत को दर्शाती है। रिंकू और सुंदर जैसे एथलीटों की सफलता ने भी यह साबित कर दिया है कि भारत आने वाले समय में इस खेल की बड़ी ताकत बनकर उभर सकता है। देश के इन जांबाज़ एथलीटों ने न केवल पदक जीते हैं बल्कि पूरे देश को गर्व करने का मौका दिया है।