स्पोर्ट्स डेस्क : नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में रविवार को खेले गए महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में साउथ अफ्रीका की कप्तान लॉरा वोल्वार्ड्ट ने एक और शानदार अध्याय लिखा। भारत ने आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका (India Women vs South Africa Women) को हराकर पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया लेकिन 26 वर्षीय इस दाएं हाथ की बल्लेबाज टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी बन गईं। अपने पांचवें शतक के साथ वोल्वार्ड्ट ने दिखाया कि क्यों उन्हें आधुनिक युग की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिना जाता है।
स्थिरता और क्लास का अद्भुत संगम
वोल्वार्ड्ट की बल्लेबाजी हमेशा से तकनीकी सटीकता और धैर्य का उदाहरण रही है। फाइनल जैसे हाई-प्रेशर मुकाबले में जब ज्यादातर बल्लेबाज दबाव में टूट जाते हैं, उन्होंने अपने क्लासिक कवर ड्राइव और टाइमिंग से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शुरुआत में उन्होंने धैर्य से बल्लेबाजी की, गेंद की लाइन-लेंथ को परखा और धीरे-धीरे रन गति बढ़ाई। उनका यह शतक साबित करता है कि स्थिरता सिर्फ प्रतिभा से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और अनुशासन से आती है। उनके खेल में वही ठहराव है जो बड़े मैचों के नतीजे तय करता है।
रिकॉर्ड की किताबों में नया अध्याय
वोल्वार्ड्ट ने इस फाइनल में अपनी शानदार पारी के दौरान इतिहास को दोबारा लिखा। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की कप्तान एलिसा हीली के 2021/22 वर्ल्ड कप में बनाए गए 509 रनों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। हीली का औसत उस समय 56.55 था, जबकि वोल्वार्ड्ट ने उससे भी अधिक निरंतरता के साथ रन बनाए। इसके साथ ही उन्होंने महिला वनडे वर्ल्ड कप इतिहास में एक ही एडिशन में सबसे ज़्यादा रन बनाने का नया कीर्तिमान स्थापित किया।
उनके नाम अब 50 या उससे अधिक रन वाली पारियों की संख्या भी सबसे ज़्यादा हो गई है, कुल 14। इससे पहले यह रिकॉर्ड भारत की दिग्गज मिताली राज के नाम था, जिनके नाम 13 बार 50+ स्कोर दर्ज थे। साथ ही, वोल्वार्ड्ट ने एक ही वर्ल्ड कप एडिशन में सबसे ज़्यादा 50+ स्कोर की बराबरी भी की है, वह न्यूजीलैंड की डेबी हॉकले, ऑस्ट्रेलिया की एलिसे पेरी, और अपने ही पिछले प्रदर्शन के साथ इस सूची में शामिल हो गई हैं।
सेमीफाइनल में दिखाई कप्तानी और क्लास
फाइनल से पहले खेले गए सेमीफाइनल में वोल्वार्ड्ट ने अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों से शानदार उदाहरण पेश किया था। इंग्लैंड के खिलाफ गुवाहाटी में खेले गए मुकाबले में उन्होंने 169 रन की ऐतिहासिक पारी खेली, जिससे उनकी टीम ने 319 रन का विशाल स्कोर बनाया। इंग्लैंड की पूरी टीम 194 पर सिमट गई, और साउथ अफ्रीका ने पहली बार फाइनल में जगह बनाई। उस पारी में उनकी लीडरशिप और शांत दिमाग ने टीम को आत्मविश्वास दिया, वही आत्मविश्वास जो फाइनल में भी झलक रहा था।
टूर्नामेंट में निरंतरता का प्रतीक
वोल्वार्ड्ट ने पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन निरंतरता दिखाई। ग्रुप चरण में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 90 नाबाद, भारत के खिलाफ 70 नाबाद, और श्रीलंका के खिलाफ 60 नाबाद रन बनाए। हर मैच में उन्होंने अपनी टीम की रीढ़ की तरह बल्लेबाजी की, और हर बार साउथ अफ्रीका को मजबूत शुरुआत दी।
वोल्वार्ड्ट : भरोसे और प्रतिभा का पर्याय
जैसे-जैसे फाइनल अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंचा, वोल्वार्ड्ट का शांत स्वभाव और टेक्निकल परफेक्शन टीम के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा। उन्होंने एक बार फिर यह साबित किया कि क्रिकेट सिर्फ ताकत का नहीं, बल्कि सोच और धैर्य का भी खेल है। वह अब न सिर्फ साउथ अफ्रीका की कप्तान हैं, बल्कि महिला क्रिकेट की ऐसी आइकन बन चुकी हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। उनका यह प्रदर्शन सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी की यात्रा है जिसने मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से खुद को इतिहास के पन्नों में अमर कर लिया है।