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नई दिल्ली : विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ कुछ समय के लिए यह समझ नहीं पाए थे कि 2021 में गाबा में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी नाबाद 89 रन की पारी के बाद प्रशंसक क्यों इतने रोमांचित हो गए थे जब तक कि रोहित शर्मा ने उन्हें यह नहीं बताया कि उनकी यह पारी ऐतिहासिक टेस्ट में सिर्फ एक और मैच जीतने वाला प्रयास नहीं था। 

तत्कालीन नियमित कप्तान विराट कोहली, सीनियर खिलाड़ी लोकेश राहुल और तीन मुख्य गेंदबाजों के बिना उतरी दूसरे दर्जे की भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उस स्थान पर तीन विकेट से हराया जिसे मेजबान टीम का गढ़ माना जाता था क्योंकि टीम ने 1989 के बाद से वहां एक भी मैच नहीं गंवाया था। ऑस्ट्रेलिया के 328 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए पंत ने निर्णायक पारी खेली। यह प्रतिकूल विदेशी परिस्थितियों में किसी भारतीय द्वारा खेली गई सबसे बेहतरीन पारियों में से एक थी। 

पंत ने कहा, ‘कभी-कभी, इस तरह का प्रदर्शन होता है जिसे आप जीवनभर याद रखते हैं और मेरे लिए गाबा टेस्ट इसमें से एक है।' शुरुआत में पंत के लिए यह भारत के लिए एक कड़ा टेस्ट जीतने की संतुष्टि थी लेकिन जैसे-जैसे समय बीता तो उन्हें अपनी उपलब्धि का महत्व समझ आया जिसके बारे में उन्हें रोहित ने बताया था। पंत ने कहा, ‘उस समय मैंने महसूस नहीं किया कि यह कितना महत्वपूर्ण है। रोहित भाई वहां थे और उन्होंने मुझे कहा, ‘तुम्हें नहीं पता कि तुमने क्या किया है।' मैंने पूछा, ‘मैंने क्या किया है? मेरे लक्ष्य सिर्फ मैच जीतना था।' रोहित भाई ने कहा, ‘तुम्हें बाद में समझ आएगा कि तुमने क्या किया है'।' 

दिल्ली के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘जब मैं जब भी लोगों को गाबा मैच के बारे में बात करते हुए सुनता हूं तो मुझे समझ आता है कि उनका मतलब क्या था और यह कितना महत्वूपर्ण था।'' पंत ने ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 श्रृंखला के दौरान सिडनी टेस्ट में करियर की सर्वश्रेष्ठ 159 रन की पारी खेली। इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने 2021 श्रृंखला में सिडनी में 97 जबकि ब्रिसबेन में नाबाद 89 रन की पारी खेलकर प्रशंसकों और विरोधी टीम का सम्मान तथा सराहना हासिल की। 

उन्होंने कहा, ‘जब आप ऑस्ट्रेलिया जाते हैं तो आपको उछाल और शॉर्ट गेंदों से निपटने पर अधिक काम करना पड़ता है क्योंकि वहां विकेट अलग होते हैं और माहौल भी अलग होता है।' पंत ने कहा, ‘वे नहीं चाहते कि आप जीतें जिससे यह और भी मजेदार हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया जाकर उनके घर में उन्हें हराने से बढ़कर कोई और अहसास नहीं हो सकता।'