लंदन : भारत के विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत को दिसंबर 2022 में एक कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद जब मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनका डॉक्टर से पहले सवाल यही था कि क्या वह फिर से खेल पाएंगे। यह खुलासा प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ दिनशॉ पारदीवाला ने किया जिन्होंने इस भीषण दुर्घटना के बाद इस स्टार क्रिकेटर का इलाज किया था।
पंत ने 30 दिसंबर 2022 को दिल्ली से अपने गृहनगर रुड़की जाते समय अपनी कार पर नियंत्रण खो दिया, जिससे कार डिवाइडर से टकरा गई और उन्हें गंभीर चोटें आईं। पारदीवाला ने डेली टेलीग्राफ से कहा, ‘ऋषभ पंत बहुत भाग्यशाली थे कि वे जीवित बच गए। वह वास्तव में बहुत भाग्यशाली थे। जब उन्हें अस्पताल लाया गया तो उनका दाहिना घुटना उखड़ गया था। उनके दाहिने टखने में भी चोट थी, शरीर पर कई अन्य छोटी-मोटी चोटें थीं। उनकी त्वचा का बहुत ज़्यादा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था।'
पारदीवाला ने कहा, ‘फिर कार से बाहर निकलते समय टूटे हुए कांच के कारण उनकी पीठ की त्वचा का काफी हिस्सा छिल गया। इस तरह की दुर्घटना में मौत का काफी जोखिम होता है।' पंत ने हालांकि हार नहीं मानी और अपना जोश और जज्बा बनाए रखा तथा 635 दिनों के बाद क्रिकेट मैदान पर सफल वापसी की। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक लगाकर कई रिकॉर्ड अपने नाम लिखे।
पारदीवाला ने कहा कि पंत बहुत भाग्यशाली थे कि उनकी चोट की गंभीरता को देखते हुए उनके दाहिने पैर में रक्त की आपूर्ति बाधित नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘जब आपका घुटना खिसक जाता है और सभी स्नायुबंधन टूट जाते हैं, तो तंत्रिका या मुख्य रक्त वाहिका के भी चोटिल होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन इस भीषण दुर्घटना के बावजूद उनकी रक्त वाहिका को चोट नहीं पहुंची, वह बहुत भाग्यशाली था।' पारदीवाला ने उस दिन को याद किया जब पंत को मुंबई के अस्पताल में लाया गया था, उनका पहला सवाल था, ‘क्या मैं कभी दोबारा खेल पाऊंगा।'
उनकी मां हालांकि अधिक व्यावहारिक थी जिन्होंने डॉक्टर से पूछा कि ‘क्या वह दोबारा चल पाएगा।' पारदीवाला ने बताया कि सर्जरी के बाद कई सप्ताह तक यह युवा क्रिकेटर अपने दांत भी ब्रश नहीं कर पाया था। उन्होंने कहा, ‘वह वास्तव में अपने हाथ नहीं हिला सकता था। वे पूरी तरह से सूज गए थे। वह वास्तव में शुरू में अपने दोनों हाथों को हिला नहीं सकता था।'
धीरे-धीरे वह बिना किसी सहायता के पानी पीने लगा और फिर चार महीने बाद बैसाखी के बिना चलने में कामयाब हो गया। लेकिन सर्जन को इस बात पर संदेह था कि पंत फिर से पेशेवर क्रिकेट खेल पाएंगे। पारदीवाला ने कहा, ‘इस तरह के रोगी अगर चल लेते हैं तो उन्हें खुशी होती है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे कि वह फिर से खेल सके। हम बहुत आगे के बारे में नहीं सोच रहे थे और हम पहले यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि वह चल सके।'
उन्होंने कहा, ‘जब हमने सर्जरी के तुरंत बाद इस पर चर्चा की, तो मैंने उनसे कहा कि आप जीवित हैं, आपके अंग बच गए हैं, यह दो चमत्कार हैं। अगर हम आपको प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी दिलाने में सफल होते हैं, तो यह तीसरा चमत्कार होगा।' पंत जब चलने लगे तो फिर वह बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी चले गए और इसके बाद क्रिकेट में वापसी करने में सफल रहे।