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नई दिल्ली : भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जब इम्पैक्ट प्लेयर नियम को पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में लागू किया गया तो वह इसकी जरूरत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे लेकिन अब वह इसे टी20 क्रिकेट के विकास के एक हिस्से के रूप में देखते हैं। चेन्नई सुपर किंग्स का यह 43 वर्षीय करिश्माई क्रिकेटर हालांकि खुद को इंपैक्ट प्लेयर नहीं मानते हैं क्योंकि वह अब भी अपनी टीम के पहली पसंद के विकेटकीपर हैं। 

धोनी ने कहा, ‘जब पहली बार यह नियम लागू किया गया तो मुझे लगा कि वास्तव में इसकी जरूरत नहीं है। कुछ हद तक इसने मेरी मदद की और नहीं भी की। मैं अभी विकेटकीपिंग कर रहा हूं इसलिए मैं इंपैक्ट प्लेयर नहीं हूं। मुझे इसके अनुसार ही आगे बढ़ना होगा। कई लोगों का कहना है कि इस नियम के कारण बड़े स्कोर बन रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि खिलाड़ियों की सहज होकर खेलने से ऐसा हो रहा है।' 

इस नियम की भारत के टेस्ट और वनडे कप्तान रोहित शर्मा और स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों ने आलोचना की है। इन दोनों का मानना है कि इससे ऑल राउंडर प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि टीम इंपैक्ट प्लेयर की भूमिका के लिए आक्रामक बल्लेबाजों को चुन रही हैं। 

धोनी ने कहा कि इस नियम से टीमों को कड़ी परिस्थितियों में एक अतिरिक्त बल्लेबाज रखने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि एक अतिरिक्त बल्लेबाज रखने के कारण बड़े स्कोर बन रहे हैं। यह मानसिकता से जुड़ा है। टीमों के पास अब एक अतिरिक्त बल्लेबाज की सुविधा है, इसलिए वे अधिक आक्रामक तरीके से खेलते हैं। ऐसा नहीं है कि सभी चार या पांच अतिरिक्त बल्लेबाजों का उपयोग किया जा रहा है, यह सिर्फ उस बल्लेबाज के होने से मिला आत्मविश्वास है। टी20 क्रिकेट इसी तरह विकसित हुआ है।'