इस्लामाबाद : पिछले एक दशक में अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी नहीं मिलना का पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ है और अब टेनिस जगत को उम्मीद है कि भारतीय डेविस कप टीम के इस ‘ऐतिहासिक मुकाबले' के लिए आने से देश में खेलों को बढावा मिलेगा और दर्शकों की रूचि जगेगी।
आखिरी बार भारतीय डेविस कप टीम 1964 में पाकिस्तान आई थी। अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) इस साल भी टीम भेजना नहीं चाहता था लेकिन आईटीएफ ने उसकी अपील खारिज करके साफ तौर पर कहा कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि भारतीय खिलाड़ियों को पाकिस्तान में सुरक्षा संबंधी कोई मसला होगा। लाहौर में मार्च 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम की बस पर हमले के बाद से पाकिस्तान में खेल गतिविधियां बाधित है।
पाकिस्तान को विश्व स्तरीय टूर्नामेंटों की मेजबानी नहीं मिल रही है। पाकिस्तानी टेनिस महासंघ जूनियर आईटीएफ या सीनियर पुरूष फ्यूचर टूर्नामेंटों की भी मेजबानी नहीं कर सका है। महिला टीम का कोई टूर्नामेंट नहीं हुआ और 2017 के बाद से डेविस कप टीम भी यहां नहीं आई है। इससे पाकिस्तान टेनिस को काफी नुकसान हुआ है जो लोकप्रियता में क्रिकेट के आसपास भी नहीं है। कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल छोड़ना पड़ गया। हालात 2017 से बदलने शुरू हुए जब ईरान ने इस्लामाबाद टीम भेजी और 2021 में जापानी टीम पाकिस्तान आई।
ऐसाम उल हक कुरैशी और अकील खान जैसे पाकिस्तान के शीर्ष खिलाड़ी इस मुकाबले को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम के भी पाकिस्तान आने का रास्ता खुलेगा। एटीपी टूर पर खेलने वाले पाकिस्तान के एकमात्र खिलाड़ी ऐसाम ने कहा, ‘हम काफी रोमांचित और खुश हैं कि आखिर डेविस कप यहां हो रहा है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि हमें राजनीति, धर्म और संस्कृति को खेलों से अलग रखना चाहिए। यही खेल की खूबसूरती है।'
उन्होंने कहा, ‘यह ऐतिहासिक मुकाबला है। मैं इसे लेकर काफी रोमांचित हूं। इससे पाकिस्तान में टेनिस को बढ़ावा मिलेगा। इसे लेकर काफी हाइप बन गई है। यहां सुरक्षा का कोई मसला नहीं है।' ऐसाम ने कहा, ‘मुझे खुशी होगी अगर डेविस कप मुकाबले के बाद भारतीय क्रिकेट टीम भी यहां आए और हमें भारत-पाकिस्तान क्रिकेट देखने को मिले। ईंशाअल्लाह, यह मुकाबला दोनों टीमों के लिए यादगार होगा।'
राष्ट्रीय विकास निदेशक और पाकिस्तानी राष्ट्रीय टेनिस सेंटर के मुख्य कोच असीम शफीक ने कहा, ‘2018 में हमारे पास 2000 से कम जूनियर खिलाड़ी थे। अंतरराष्ट्रीय टेनिस फिर शुरू होने के बाद यह आंकड़ा 50000 पार कर गया और अब चुनौती उन्हें बरकरार रखने की है। पाकिस्तान में सार्वजनिक टेनिस कोर्ट नहीं है।' उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में टेनिस खेलने के लिए जिमखाना या क्लब का सदस्य होना पड़ता है जबकि भारत में खिलाड़ी पैसे देकर कोर्ट बुक करके खेल सकते हैं। इन रजिस्टर्ड खिलाड़ियों में से दस प्रतिशत ही सदस्यता ले सकते हैं लिहाजा इन खिलाड़ियों को दस साल की उम्र के बाद बरकरार रखना मुश्किल है।'
असीम ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इस मुकाबले से राजस्व मिलेगा। आम तौर पर हम प्रायोजकों के पीछे भागते हैं लेकिन इस बार उलटा हो रहा है।' अकील खान का मानना है कि यह मुकाबला बाकियों से अलग होगा। उन्होंने कहा, ‘हम जापान और उजबेकिस्तान जैसी सर्वश्रेष्ठ एशियाई टीमों से खेल चुके हैं लेकिन भारत की बात अलग है। भारतीय टीम के आने से मीडिया और दर्शकों की रूचि बढ गई है और प्रायोजक भी काफी उत्साहित हैं। इससे पाकिस्तानी टेनिस को फायदा मिलेगा।'