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टोक्यो : दो गोल से पिछड़ने के बाद भी हमने हार नहीं मानी थी और एक दूसरे से यही कह रहे थे कि यही हमारे पास कुछ कर गुजरने का आखिरी मौका है, बाद में पूरी जिंदगी पछताना नहीं है। यह कहना है टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर 41 साल बाद इतिहास रचने वाली भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह का। भारत ने 1-3 से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीता।

मैच के बाद ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत ने कहा कि हमारे लिए वह बहुत जज्बाती पल था। इतने सालों की मेहनत रंग लाई। हम सेमीफाइनल हारने के बाद जीत का जुनून लेकर ही उतरे थे। दो गोल से पिछड़ने के बाद भी हमने हार नहीं मानी। हमने एक दूसरे से यही कहा था कि हमारे पास यह आखिरी मौका है। इसमें चूके तो जिंदगी भर पछताते रहेंगे और पूरी टीम ने आखिर तक हार नहीं मानी।

कोच ग्राहम रीड ने कहा कि सेमीफाइनल में बेल्जियम से हारने के बाद जिस तरह से उनकी टीम ने कांस्य पदक के मैच में वापसी की, वह काबिले तारीफ है। हम सेमीफाइनल हार गए थे। पूरी टीम दुखी थी लेकिन हमने साथ मिलकर एक दूसरे का मनोबल बढाया। हम हमेशा से ‘टीम सबसे पहले' मानसिकता पर जोर देते आए हैं। यही एकजुटता लॉकडाउन के दौरान भी खिलाड़ियों का संबल बनी थी। उस हार के बाद आज इस तरह से वापसी करना जबर्दस्त था। पांच ओलंपिक टीमों का हिस्सा रह चुके आस्ट्रेलियाई कोच ने कहा कि यह ओलंपिक सबसे अलग था। 

कोरोना महामारी की वजह से सब कुछ बदला हुआ था। इन खिलाड़ियों ने काफी मेहनत की है और बलिदान भी दिए हैं। पृथकवास में रहना आसान नहीं था लेकिन आज वह मेहनत नजर आई। हाफटाइम में कोच से मिली सलाह के बारे में पूछने पर हरमनप्रीत ने कहा कि उन्होंने इतना ही कहा कि अपनी मेहनत और बेसिक्स पर भरोसा रखो। उन्होंने संयम के साथ खेलने को कहा और हमने वही किया। हूटर से छह सेकंड पहले जर्मनी को पेनल्टी कॉर्नर मिला जिसे भारतीय गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने बचाया। 

इसके बारे में कोच से पूछने पर उन्होंने कहा कि मैं घड़ी देखने में व्यस्त था कि कितना समय बच गया है। थोड़ा ध्यान भटका हुआ था जो अच्छा भी था। वह समय काफी नर्वस करने वाला होता है लेकिन मुझे खुशी है कि हमारा पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस काफी मजबूत रहा। मैच में दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह पहले 16 खिलाड़ियों में जगह नहीं पा सके थे ।वह रिजर्व के तौर पर आए थे लेकिन जब भी मौका मिला उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन था कि टीम में मेरा चयन होगा लेकिन नहीं होने पर मैं निराश था। कोच ने मुझसे कहा था कि वह भी इससे दुखी हैं लेकिन मैने कहा कि मायने यह रखता है कि हम ओलंपिक में कहां रहते हैं, मैं टीम में रहूं या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता। मैंने जब भी मौका मिला, खुद को साबित किया। गोल मेरी स्टिक से भले ही निकले हो लेकिन यह टीम के प्रयास का नतीजा होते हैं। हमने दिखा दिया कि हम क्या कर सकते हैं। कोच ने हालांकि यह भी कहा कि भारतीय टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि यह टीम दबाव में इतना उम्दा खेलती है। इस टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी बाकी है और आगे देखने को मिलेगा ।