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स्पोर्ट्स डेस्क : दिल्ली उच्च न्यायालय पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान मुख्य कोच गौतम गंभीर के खिलाफ निचली अदालती कार्यवाही रोकने की याचिका से सहमत नहीं है। गंभीर, उनके फाउंडेशन और परिवार के सदस्यों पर अवैध रूप से कोविड-19 की दवाइयां वितरित करने के आरोप हैं। गंभीर के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की याचिका दायर की गई थी। हालांकि न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने दृढ़ता से कहा कि अदालत इस अनुरोध पर विचार करेगी। 

न्यायाधीश ने कहा, 'अगर आपने एक साधारण अनुरोध किया होता, तो मैं उस पर विचार करती। आप मुझे बहुत सी बातें बताने की कोशिश कर रहे हैं। सबसे पहले (पार्टी का) नाम, उनकी साख, उनके द्वारा किए गए कार्य। आप नाम उछालने की कोशिश कर रहे हैं जैसे कि यह अदालत में काम करेगा। यह काम नहीं करता।' 

अदालत की सुनवाई 8 सितंबर को होनी थी। यह भी कहा गया कि पूर्व सांसद और क्रिकेटर ने लॉकडाउन के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाइयां दान की थीं। हालांकि, उच्च न्यायालय अपने मूल रुख से पीछे नहीं हटा। उच्च न्यायालय ने कहा कि एक बार स्थगन आदेश लागू हो जाने पर सुनवाई तुरंत रुक जाती है, जांच रुक जाती है और पूरा मामला 'अंततः खारिज' हो जाता है। 

यह शिकायत मूल रूप से औषधि नियंत्रण विभाग (डीसीडी) द्वारा गंभीर और उनके फाउंडेशन गौतम गंभीर फाउंडेशन और सीईओ अपराजिता सिंह के खिलाफ दर्ज की गई थी। उनकी मां (सीमा गंभीर) और पत्नी (नताशा गंभीर) को भी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया गया है।