मुम्बई : इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के टीम मालिकों ने कहा है कि नीलामी में खरीदे जाने के बाद बिना किसी ठोस वजह अनुपलब्ध रहने वाले विदेशी खिलाड़यिों को पर दो साल का प्रतिबंध लगना चाहिए। टीम मालिकों और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोडर् (बीसीसीआई) के बीच बुधवार को हुई बैठक में फ्रैंचाइजियों ने यह मांग की।
इसके साथ ही उन्होंने आईपीएल के सामने विदेशी खिलाड़यिों को बड़ी नीलामी के लिए पंजीकरण कराने को अनिवार्य करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि खिलाड़यिों के अनुपलब्ध रहने का असर उनके प्रदर्शन पर भी पड़ता है क्योंकि टीम की रणनीति उन विदेशी खिलाड़यिों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि अगर खिलाड़यिों को बोडर् ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए कहा जाता है, या उन्हें चोट लग जाती है या फिर परिवार में किसी काम से वह टीम से अगर नहीं जुड़ पाते हैं, तो वो ऐसी स्थिति में खिलाड़ियों को अनुमति दे सकती हैं लेकिन खिलाड़यिों की अनुपलब्धता का पता उन्हें नीलामी समय पता चल जाए तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि कई बार बेस प्राइस पर खरीदे जाने वाले खिलाड़ी नीलामी के बाद अपना नाम वापस ले लेते हैं।
उन्होंने एक खिलाड़ी का उदाहरण भी दिया जिसमें खिलाड़ी के मैनेजर ने यह शर्त रखी थी अधिक पैसे देने की स्थिति में वह खिलाड़ी खेलने के लिए तैयार हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नीलामी के पिछले दो चक्र (2018-24) के दौरान कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जब विदेशी खिलाड़ी छोटी नीलामी में मोटी रकम हासिल करने के लिए बड़ी नीलामी में उपलब्ध नहीं रहे। उन्होंने कहा कि कुछ खिलाड़ी और उनके मैनेजर इस प्रणाली का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं और ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए कुछ प्रावधान करने की दरकार है।