सहारनपुर : भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के चैंपियंस ट्राफी (Champions trophy 2025) में आस्ट्रेलिया के साथ सेमीफाइनल मैच में मैदान पर एनर्जी ड्रिंक पीने को लेकर हो रही आलोचना को पब्लिसिटी स्टंट करार देते हुये देवबंद के इस्लामिक विद्वान और लेखक बदर काजमी ने कहा कि मोहम्मद शमी पर भारतीय मुसलमानों को गर्व है। वह चैंपियंस ट्राफी में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्होंने अपने शानदार खेल से दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों का मन मोह लिया है।

बरेली मसलक के मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी राष्ट्रीय अध्यक्ष आल इंडिया मुस्लिम जमात ने यह कहकर मोहम्मद शमी की आलोचना की है कि रमजान में रोजे ना रखना गुनाह है और मोहम्मद शमी शरियत की नजर में अपराधी हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। रिजवी ने कहा कि शमी को शरियत का पालन करते हुए रोजा रखना चाहिए था। मौलाना रजवी के बयान की निंदा करते हुए देवबंद के इस्लामिक विद्वान और लेखक बदर काजमी ने कहा कि खेल के दौरान रोजा रखना इस्लामिक ऐतबार से अनिवार्य नहीं था। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बरेली मौलवी ने शमी की गलत आलोचना की है। कुरान में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति रोजे रखने में सक्षम है और किन्हीं अपरिहार्य कारणों से वह रोजा नहीं रख पाता है तो वह उसकी एवज में दो गरीब लोगों को भोजन करा सकता है और बाद में भी अलग से रोजा रख सकता है।
उधर, शमी के भाई मोहम्मद हसीब ने भी मोहम्मद शमी की आलोचना करने वालों को नसीहत दी है और कहा है कि सभी मुसलमानों को भारत की क्रिकेट टीम के लिए जीत की दुआ करनी चाहिए। किसी भी देशवासी के लिए सबसे पहले उसके लिए राष्ट्र भक्ति और देशहित सर्वोपरि है। देवबंद में जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक मौलाना इशहाक गौरा ने कहा कि शमी इस्लाम के गुनाहगार नहीं है। शरियत के तहत मिली छूट के कारण उन्होंने रोजा नहीं रखा। शिया समुदाय के मौलाना यासूब अब्बास ने बरेली मौलवी शाहबुद्दीन रिजवी की कड़े शब्दों में निंदा की है।