स्पोर्ट्स डेस्क : भारत ने एशिया कप 2025 के फ़ाइनल में जगह पक्की कर ली है और खिताब की रेस में वह सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। लेकिन टीम की सबसे बड़ी चिंता है मैदान पर कैच छोड़ना। अब तक इस टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों ने 12 कैच छोड़े हैं, जो किसी भी टीम से ज़्यादा हैं। यह आंकड़ा बताता है कि टीम का सबसे कमजोर पहलू फ़ील्डिंग बनता जा रहा है।
कैचिंग आंकड़े चौंकाने वाले
भारत की कैचिंग सफलता दर केवल 67.5% है, जो हांगकांग चीन के बाद टूर्नामेंट में सबसे खराब है। दूसरे शब्दों में, हर तीसरे मौके पर गेंदबाज़ों की मेहनत बेकार चली जाती है। यही वजह है कि मज़बूत बैटिंग और गेंदबाज़ी के बावजूद भारत को फील्डिंग पर सवाल झेलने पड़ रहे हैं।
वरुण चक्रवर्ती की साफ राय
चार कैच तो अकेले वरुण चक्रवर्ती की गेंदबाज़ी पर छूटे हैं। बांग्लादेश मैच के बाद उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
"इस टीम को विश्व कप तक एक मिशन के लिए चुना गया है। हमें फ़ील्डिंग में सुधार करना होगा। पिछले मैच के बाद कोच ने कुछ नहीं कहा था, लेकिन आज के बाद उनके पास कहने को बहुत कुछ होगा।"
‘रिंग ऑफ फायर’ में मुश्किलें
दुबई का इंटरनेशनल स्टेडियम, जिसे ‘रिंग ऑफ फ़ायर’ कहा जाता है, अपने फ्लडलाइट्स और नमी की वजह से फील्डरों के लिए मुश्किलें खड़ी करता है। गेंद अचानक नीचे गिरती हुई नज़र आती है और कई बार हाथ से फिसल जाती है। वरुण ने माना कि माहौल चुनौतीपूर्ण है, लेकिन साथ ही जोड़ा, “इस स्तर पर आप बहाने नहीं बना सकते। हर कैच पकड़ना ही होगा।”
फाइनल से पहले चेतावनी
भारतीय टीम फाइनल तक पहुंच चुकी है, लेकिन अब एक भी गलती भारी पड़ सकती है। किसी बड़े मैच का पासा अक्सर एक ही छूटे कैच से पलट जाता है। ऐसे में कप्तान और फील्डिंग कोच के लिए यह सबसे अहम समय है कि टीम को फील्डिंग में अनुशासन और भरोसेमंद प्रदर्शन के लिए तैयार किया जाए। अगर भारत को एशिया कप जीतना है, तो बल्ला और गेंद के साथ-साथ फील्डिंग में भी बेस्ट देना होगा।