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नई दिल्ली ( निकलेश जैन ) भारतीय शतरंज जगत को व्यक्तिगत तौर पर विश्वनाथन आनंद ,कोनेरु हम्पी से लेकर कई खिलाड़ियों नें पदक दिलाये पर टीम स्पर्धा के सबसे बड़े मंच शतरंज ओलंपियाड मे भारत के नाम 6 साल पहले ठीक 15 अगस्त के कुछ घंटे पहले पदक मिलना तय हुआ और ठीक 15 अगस्त को हमें यह पदक मिला । जगह थी ट्रोम्सो ,नॉर्वे और 41 वे शतरंज ओलंपियाड मे भारत नें रूस और अमेरिका जैसे देशो को पीछे छोड़ते हुए अपना पहला कांस्य पदक हासिल किया । बड़ी बात यह थी की विश्वनाथन आनंद और पेंटाला हरिकृष्णा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की अनुपस्थिति मे भारत नें यह सफलता हासिल की थी टीम मे परिमार्जन नेगी ,कृष्णन शशिकिरण ,एसपी सेथुरमन ,अधिबन भास्करन और रोहित ललित बाबू की मौजूदगी मे हासिल की थी । टीम के कोच आरबी रमेश थे ।

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जब अंतिम राउंड मे उज्बेकिस्तान को दी मात – अंतिम राउंड के पहले भारत टाईब्रेक मे आठवे स्थान पर था और आखिरी 11वे राउंड मे मुक़ाबला था उज्बेकिस्तान से ऐसे मे भारत को बड़े अंतर से जीत दर्ज करनी थी  और युवा पर कम अनुभवी टीम के सामने बड़ा लक्ष्य आया तो परिणाम भी बड़ा आया और भारत नें इतिहास रचते हुए 3.5-0.5 के अंतर से जीत दर्ज करते हुए कांस्य पदक हासिल कर लिया ।

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173 देशो मे चीन 19 अंक लेकर पहले ,तो 17 अंक लेकर टाईब्रेक मे हंगरी दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर रहा । अन्य देशो मे रूस ,अजरबैजान ,उक्रेन ,क्यूबा ,अर्मेनिया ,इज़राइल और स्पेन क्रमशः चौंथे से दसवें स्थान तक रहा ।

सिर्फ एक को मिला अर्जुन अवार्ड – पर भारत की शतरंज की दुनिया की इस सबसे बड़ी कामयाबी के बाद भी इन खिलाड़ियों मे परिमार्जन नेगी को छोड़कर किसी को भी आज तक अर्जुन अवार्ड तक नहीं दिया गया इसे आप सरकार की नियम कहे जिसमें शतरंज को अन्य खेलो की तरह गिना जाता है और ओलंपिक खेल जिसमें शतरंज नहीं है उसे ही मापदंड माना जाता है या शतरंज संघ की नाकामी जो सरकार को यह समझाने मे नाकाम रहे की क्रिकेट की तरह शतरंज का अपना मापदंड है यहाँ  यह ना भूले क्रिकेट 12 देश खेलते है और शतरंज लगभग 200 ।

देखे यह विडियो - हिन्दी चेसबेस इंडिया के सौजन्य से