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नई दिल्ली : देश के शीर्ष पहलवानों द्वारा शोषण के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। सूत्रों ने यह संकेत दिए हैं। एक अभूतपूर्व कदम में विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक जैसे शीर्ष पहलवानों ने जनवरी में दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था और डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर यौन शोषण और डराने-धमकाने के आरोप लगाए थे। पहलवानों ने मांग की थी कि डब्ल्यूएफआई को भंग कर दिया जाए और अध्यक्ष को हटा दिया जाए। खेल मंत्रालय ने 23 जनवरी को महान मुक्केबाज एमसी मेरीकोम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया था और उसे एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था। बाद में समय सीमा दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई और प्रदर्शनकारी पहलवानों के आग्रह पर बबीता फोगाट को जांच पैनल में छठे सदस्य के रूप में शामिल किया गया। समिति ने अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन मंत्रालय ने अभी तक इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि कई सूत्रों ने पुष्टि की कि पहलवान कई सुनवाई के बाद डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को साबित नहीं कर सके। 

एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘पहलवान यौन उत्पीड़न के अपने आरोपों को साबित नहीं कर सके। जांच के दौरान यह आरोप लगाया गया था कि एक महिला फिजियो (नाम नहीं दिया गया) को बृजभूषण ने पिछले साल बुल्गारिया में एक प्रतियोगिता के दौरान पीठ दर्द के इलाज के लिए मालिश करने के लिए कहा था। हालांकि सुनवाई के दौरान उसी फिजियो ने ऐसा कुछ भी होने से इनकार कर दिया।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसके बजाय उसने खुलासा किया कि बृजभूषण सिरदर्द के लिए सिर्फ एक दर्द निवारक चाहते थे और जब उसने एक महिला कोच की मौजूदगी में इसकी पेशकश की तो डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने ‘डिस्प्रिन' की गोली लेने से भी इनकार कर दिया।'' सूत्र ने कहा, ‘‘असल में पुरुष कोच अनिल ने बृजभूषण की मदद की थी।'' डब्ल्यूएफआई के अधिकारियों ने हालांकि संपर्क किए जाने पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की। यह भी पता चला है कि विनेश और साक्षी ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के जांच पैनल को लिखित हलफनामा दिया है जो आरोपों की अलग से जांच कर रहा है लेकिन इसमें गलत जानकारी दी गई है। 

सूत्र ने कहा, ‘‘अपने हलफनामे में विनेश ने दावा किया कि बृजभूषण ने 2015 में तुर्की में उसे अनुचित तरीके से छुआ था। हालांकि बाद में पता चला कि विनेश ने उस साल तुर्की में प्रतिस्पर्धा नहीं की थी। बाद में उसने कहा कि यह असल में 2016 में मंगोलिया में हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘साक्षी ने अपने हलफनामे में लिखा है कि 2015 में बृजभूषण ने उन्हें गले लगाया था। बृजभूषण ने उसकी असहजता को महसूस किया और कहा कि उन्होंने एक पिता की तरह उसे गले लगाया।'' एक अन्य सूत्र के अनुसार, कुछ पूर्व महिला पहलवानों ने कहा कि बृजभूषण ने उनके मोबाइल नंबर मांगे लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी उन्हें फोन किया तो उन्होंने इससे इनकार किया। सूत्र ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि बृजभूषण ने उनके साथ उनके कंधों पर हाथ रखकर तस्वीरें खिंचवाई लेकिन पैनल द्वारा मांगे जाने पर वे तस्वीरें पेश नहीं कर पाईं।'' बृजभूषण ही नहीं बल्कि कुछ कोच पर भी आरोप लगे थे। ऐसे ही एक कोच थे ग्रीको रोमन ट्रेनर महाबीर प्रसाद। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता से पैनल ने पूछा था कि तोक्यो ओलंपिक में हार के बाद वह विनेश के घर क्यों गए थे तो उन्होंने जवाब दिया कि वह कुछ प्रेरक शब्द कहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता था कि यह शीर्ष पहलवान कठिन दौर से गुजर रही है। विनेश ओलंपिक में पहले दौर में ही बाहर हो गई थीं और बाद में उन्हें अनुशासनहीनता के लिए डब्ल्यूएफआई द्वारा निलंबित कर दिया गया था। उसने खुलासा किया था कि वह अवसाद से पीड़ित थी और स्थिति से निपटने के लिए बुरी तरह संघर्ष कर रही थी। 

एक सूत्र ने कहा, ‘‘महाबीर ने जवाब दिया कि जब वह विनेश से मिलने गए तो वह अकेले नहीं थे। उनके साथ एक कोच और एक पत्रकार भी था इसलिए विनेश से मिलने को लेकर उनके मन में किसी तरह की दुर्भावना का सवाल ही नहीं उठता।'' यह भी पता चला है कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के दो अधिकारी सोनीपत केंद्र गए थे जिससे कि बृजभूषण के खिलाफ कोच से प्रतिकूल बयान लिए जा सकें। सोनीपत में पुरुष पहलवानों का ट्रेनिंग शिविर आयोजित होता है। सूत्र ने कहा, ‘‘जब एक निगरानी समिति इस मामले की जांच कर रही थी तो सोनीपत साइ केंद्र में साइ अधिकारी क्या कर रहे थे। यहां तक कि समिति के सदस्यों में से एक का रिश्तेदार भी वहां था। साइ केंद्र ने उस रिश्तेदार को साइ परिसर के अंदर कैसे जाने दिया? वह शिविर का हिस्सा नहीं था।'' साइ महानिदेशक संदीप प्रधान सहित साइ के अधिकारियों ने कई फोन करने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया।