स्पोर्ट्स डेस्क : किस्मत और प्रतिभा, ये दो ऐसी चीजें हैं कि अगर आपके पास हैं तो फिर सितारे गर्दिश में रहते हैं। शैफाली वर्मा के लिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा क्योंकि सेमीफाइनल तक जिसका कोई जिक्र तक नहीं था उस युवा खिलाड़ी शैफाली को ना सिर्फ महिला विश्व कप फाइनल खेलने का मौका मिला बल्कि जीत की सूत्रधार भी बनकर सामने आई। शैफाली ने शानदार 87 रन की पारी खेलकर स्कोर 298 तक पहुंचाने में मदद की और फिर गेंदबाजी करते हुए 2 विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका को 246 पर रोकने में सहायता कर टीम को पहला विश्व कप जीताने में योगदान दिया। आइए मैच से जुड़े शैफाली की रोचक बातों पर भी नजर डाल लेते हैं- 
वर्ल्ड कप टीम में भी नहीं थीं 
शैफाली वर्मा भारत की ओरिजिनल 15-सदस्यीय वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा नहीं थीं, और न ही रिजर्व खिलाड़ियों में थीं। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। ओपनर प्रतिका रावल के चोटिल होने के बाद शैफाली को मौका मिला और उन्होंने इस मौके पर अपने परफार्मैंस का चौका लगाकर इसे यादगार बना दिया। 
नवी मुंबई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्ल्ड कप फाइनल में शैफाली ने भारत के लिए सबसे ज़्यादा 87 रन बनाए और दो अहम विकेट लिए जिससे उन्हें प्लेयर-ऑफ-द-मैच का अवॉर्ड मिला। उस खिलाड़ी के लिए यह बुरा नहीं है जिसे वहां होना ही नहीं था।
भारत की सबसे कम उम्र की T20I डेब्यू करने वाली खिलाड़ी 
शैफाली ने पहली बार सिर्फ 15 साल की उम्र में सुर्खियां बटोरीं, जब वह भारत की सबसे कम उम्र की T20 इंटरनेशनल डेब्यू करने वाली खिलाड़ी बनीं। उनकी निडर बैटिंग स्टाइल की तुलना तुरंत उनके आइडल वीरेंद्र सहवाग से की जाने लगी।
वह वापसी जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी 
पिछले साल भारत की व्हाइट-बॉल टीमों से बाहर किए जाने के बाद शैफाली ने अपनी लय वापस पाने के लिए घरेलू क्रिकेट में वापसी की। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। वह वर्ल्ड कप के लिए बुलाए जाने से पहले वह घरेलू सीजन में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली और विकेट लेने वाली खिलाड़ियों में से एक बन गईं। 
वह बॉलर जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी 
फाइनल में कप्तान हरमनप्रीत कौर ने शैफाली को गेंद थमाई और उन्होंने कमाल कर दिया। उन्होंने सुने लुस और मारिजेन कैप दोनों को आउट किया जिससे मैच भारत के पक्ष में हो गया। हाल के घरेलू टूर्नामेंट में उनके 8 विकेट ने इस नई काबिलियत का संकेत दिया था। 
किस्मत ने अपना रोल निभाया 
हरमनप्रीत ने भी माना कि शफाली का टीम में शामिल होना किसी दैवीय टाइमिंग जैसा लगा। कप्तान ने कहा, "यह सब किस्मत है। हम नहीं चाहते थे कि उसे रिप्लेसमेंट जैसा महसूस हो और उसने दिखाया कि क्यों।' 
अभी सिर्फ 21 साल की और बहुत कुछ आना बाकी है 
21 साल की उम्र में, शफाली वर्मा पहले ही क्रिकेट की कई जिंदगियां जी चुकी हैं रिकॉर्ड, हार, वापसी और जीत। लेकिन अगर वर्ल्ड कप फाइनल ने कुछ साबित किया है, तो वह यह है कि उसने अभी तो बस शुरुआत की है।