खेल डैस्क : तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भारत की बॉक्सर निकहत जरीन ने इतिहास रच दिया। उन्होंने 52 किलो वर्ग के मुकाबले में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास को 5-0 से हराया। तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली निकहत 2011 में पहली बार उस वक्त चर्चा में आई थी जब उन्होंने तुर्की के अंताल्या में विश्व युवा और जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। निकहत की नजरें अब पैरिस ओलिम्पिक पर टिकी हैं। उन्होंने जीत का श्रेय माता-पिता को दिया है।
लोग कहते थे- शादी करा दो
निकहत अपने संघर्ष को याद करते हुए कहती है- लड़की होने के कारण उन्हें पड़ोसियों और रिश्तेदारों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोग पापा को ताने मारते थे कि वह अपनी बेटी को पीटने के लिए रिंग में ले जाते है। वह कहते थे इसकी शादी करा दो। लेकिन अब मैंने उन्हें अपने प्रदर्शन से जवाब दे दिया है।
एथलैटिक्स से मुकेबाजी में आई निकहत
निकहत शुरूआत में एथलैटिक्स में थीं। एक दिन अभ्यास के दौरान उन्होंने एक लड़की को मुक्केबाजी करते देखा। पापा से बात की तो उन्होंने इस गेम में लड़कियां कम हैं क्योंकि लोग मानते हैं कि लड़कियों में बॉक्सिंग करने की हिम्मत नहीं होती। तब से मैंने बॉक्सिंग में करियर बनाने का फैसला किया।
मोहम्मद अली है आदर्श
दी ग्रेट मोहम्मद अली को अपना आदर्श मानने वाली निकहत महिलाओं को खेलों से जोडऩा चाहती है। उनका मानना है कि समाज को आगे आकर महिलाओं को खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें यकीन दिलाना चाहिए कि वे भी कामयाब हो सकती हैं।
यह पूरे देशवासियों की जीत : पिता
अपनी बेटी की इस कामयाबी पर निकहत के पिता कहते है कि ‘निकहत ने विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत कर मुझे ही नहीं बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। यह जीत मेरी नहीं बल्कि पूरे देशवासियों की है। वहीं निकहत की मां परवीन सुल्ताना ने कहा- निकहत की ये कामयाबी उन लोगों के लिए एक सबक है जो बेटी का मजाक बनाते थे। आज मेरी बेटी ने खुद को साबित किया है।