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नई दिल्लीः सपनों को संयोजना हो तो पैसों का होना लाजमी है। लेकिन असली मजा पूरी जिंदगी बिताने में तब आता है जब कोई इंसान बुरे वक्त से निकलकर दुनियाभर में पहचान बनाने के बाद अपने सपनों को पूरा करता है। क्रिकेटर तनवीर उल हक को भी गरीबी का सामना करना पड़ा। वक्त ऐसा था कि उनके पास सफेद वर्दी लेने के लिए पैसे नहीं थे, ऐसे में उन्होंने अपने पिता का सफेद पायजामा पहना और मैच खेलने के लिए मैदान पर पहुंंच गए। उन्हें देख उस समय साथी खिलाड़ी खूब हंसे थे लेकिन अभी तनवीर ने क्रिकेट में अपनी पहचान बनाकर सबको मुंहतोड़ जवाब दिया। 

अब तनवीर रणजी ट्रॉफी क्वार्टरफाइल में कर्नाटक के खिलाफ राजस्थान की तरफ से बोलिंग अटैक का नेतृत्व कर रहे हैं। क्रिकेट में भी तनवीर को लगातार संघर्ष झेलना पड़ा है। 2015 में रणजी में पदार्पण के बाद भी उन्‍हें खेलने का लंबा स्पेल नहीं मिला। चूंकि यहां उनकी प्रतिस्पर्धा दीपक चहर, पंकज सिंह, नाथू सिंह चौधरी और खलील अहमद जैसे खिलाड़ियों से रही। ये सभी ऐसे तेज गेंदबाज हैं जिन्हें भारतीय टीम के खिलाड़ियों के रूप में देखा जाता है। खलील अहमद और दीपक भारतीय टीम के पर्दापण कर चुके हैं जबकि पंकज पुडुचेरी शिफ्ट हो गए। इस तरह तनवीर को खुद को साबित करने के लिए एक लंबा समय मिला। तनवीर कहते हैं, 'सब कुछ ठीक चल रहा है क्योंकि मुझे इतने सारे गेम्स खेलने का मौका मिला। मुझे एक या दो मैचों में खिलाया जाता था और बैंच पर बिठा दिया जाता।'

तनवीर लेफ्टी मीडियम पेसर हैं। इस सीजन 9 मैचों में 300 से ज्यादा ओवर डाल चुके हैं और 47 विकेट लेकर अनिकेत चौधरी के साथ संयुक्त शीर्ष पर हैं। करियर में काफी उतार-चढ़ाव भी आए। बैट्समैन बनना चाहते थे लेकिन जब जरूरी था तब बल्ला खरीदने के लिए पैसे इकट्ठे नहीं हो सके तो बॉलर ही बन गए। 

बच्चों के कपड़े भी बेचे
तनवीर बताते हैं, 'मेरे पास तो डाइट के पैसे भी नहीं होते थे। इसके लिए मैंने कार गैरेज में काम किया। घर-घर अखबार डाले।  रेहड़ी पर बच्चों के कपड़े भी बेचता था। लेकिन इन सबके बारे में मेरे वालिद को पता नहीं था। घर से छुप कर ही मैं ये काम करता था। सुबह 5.30 उठता, नमाज पढ़ने जाता। वहां से किसी दोस्त की साइकिल लेता। अखबार के सेंटर जाता और घर-घर अखबार डालता। एक बार गाड़ी से टक्कर हो गई तो मेरी भौं पर कट लग गया तब पापा को पता चला तो उन्होंने डांटा और कहा, बेटा तुझे खाना तो हम खिला ही सकते हैं, ये काम छोड़ दे।'